Haryana News: भिवानी में तीन दिवसीय तीज महोत्सव, लोक संस्कृति और अध्यात्म का संगम

Top Haryana: हरियाणा के भिवानी जिले में इस बार तीन दिवसीय तीज महोत्सव 25 जुलाई से 27 जुलाई तक शहर के हनुमान जोहड़ी मंदिर स्थित स्वामी विवेकानंद सभागार में आयोजित होगा। इस आयोजन का मुख्य उद्देश्य न केवल स्थानीय लोगों को सांस्कृतिक और आध्यात्मिक कार्यक्रमों से जोड़ना है बल्कि महिलाओं को सशक्त बनाने और समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर को नई पीढ़ी तक पहुंचाने का भी है।
युवा जागृति एवं जनकल्याण मिशन ट्रस्ट का योगदान
इस भव्य महोत्सव का आयोजन युवा जागृति एवं जनकल्याण मिशन ट्रस्ट द्वारा किया जा रहा है। आयोजन का नेतृत्व बालयोगी महंत चरणदास महाराज कर रहे हैं। महंत जी ने बताया कि इस कार्यक्रम में सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ लोक कला के कार्यक्रम और धार्मिक प्रवचन होंगे। उनका मानना है कि इस तरह के आयोजन समाज को आध्यात्मिक और सामाजिक मूल्यों के प्रति जागरूक करने में मदद करेंगे और महिलाओं के अधिकारों को बढ़ावा देंगे।
लोक कलाओं और सांस्कृतिक प्रस्तुतियों का महत्व
इस महोत्सव में विशेष रूप से लोक कला और सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ आकर्षण का केंद्र होंगी। महिलाएं जो इस दिन के महत्व को समझती हैं अपने पारंपरिक नृत्य और गीतों से इस आयोजन को और भी रंगीन बनाएंगी। महंत चरणदास महाराज ने इस महोत्सव को हमारे सांस्कृतिक धरोहर को सुरक्षित रखने और भविष्य की पीढ़ी को इसके प्रति जागरूक करने के अवसर के रूप में देखा है।
हरियाली तीज का महत्व
हरियाली तीज का पर्व विशेष रूप से महिलाओं के लिए अत्यधिक महत्व रखता है। यह पर्व मुख्य रूप से पति की लंबी उम्र की कामना के लिए मनाया जाता है। इस दिन महिलाएं मेंहदी लगाती हैं साज-श्रृंगार करती हैं और भगवान शिव-पार्वती की पूजा करती हैं। इस दिन का विशेष रंग हरा होता है और महिलाएं हरे रंग के कपड़े और चूड़ियाँ पहनती हैं।
यह पर्व श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है और इसे हरियाली तीज, सावन तीज, सिंधारा तीज और छोटी तीज भी कहा जाता है। महिलाएं इस दिन न केवल अपने वैवाहिक सुख के लिए पूजा करती हैं बल्कि अपने बच्चों की खुशी, स्वास्थ्य और समृद्धि की कामना भी करती हैं।
श्रद्धालुओं से अपील
महंत चरणदास महाराज ने सभी श्रद्धालुओं से अपील की है कि वे इस महोत्सव में बढ़-चढ़कर भाग लें। उनका कहना है कि इस आयोजन में भाग लेने से श्रद्धालु भारतीय संस्कृति और अध्यात्म से जुड़ने का अवसर प्राप्त करेंगे। वे चाहते हैं कि इस महोत्सव को पारंपरिक तरीके से मनाया जाए और लोग इसे अपनी जिंदगी का हिस्सा बनाएं।