Haryana news: ओल्ड गुरुग्राम मेट्रो प्रोजेक्ट में तेजी, दूसरे चरण की भी तैयारी शुरू, यहां बनेगें नए स्टेशन

Top Haryana news: इस प्रोजेक्ट के पहले चरण का निर्माण कार्य गुरुग्राम मेट्रो रेल लिमिटेड (GMRL) द्वारा अगले महीने से शुरू किया जाएगा। वहीं, अब इसके दूसरे चरण की तैयारी भी शुरू हो चुकी है।
गुरुग्राम महानगर विकास प्राधिकरण (GMDA) ने दूसरे चरण के लिए पांच जगहों पर अंडरपास बनाने की योजना बनाई है। इसके लिए संबंधित जगहों के नक्शे मांगे गए हैं, जिन्हें टेंडर दस्तावेजों में शामिल किया जाएगा। उम्मीद की जा रही है कि इस साल के अंत तक दूसरे चरण के लिए टेंडर आमंत्रित कर लिए जाएंगे।
10 हजार 288 करोड़ रुपये की लागत से बनेगा मेट्रो रूट
ओल्ड गुरुग्राम मेट्रो के लिए करीब 6 साल पहले 29.5 किलोमीटर लंबा मेट्रो रूट बनाने की योजना बनी थी, जिसमें कुल 27 स्टेशन प्रस्तावित थे। अब नई डीपीआर (डिटेल्ड प्रोजेक्ट रिपोर्ट) के अनुसार इस मेट्रो प्रोजेक्ट की लंबाई बढ़ाकर 30.5 किलोमीटर कर दी गई है।
इस पूरे प्रोजेक्ट पर लगभग 10 हजार 288 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है। नई योजना के अनुसार रेलवे स्टेशन के पास एक नया मेट्रो स्टेशन बनाया जाएगा, जिसे सेक्टर 5 के मेट्रो स्टेशन से जोड़ा जाएगा। इससे रेलवे से मेट्रो की सीधी कनेक्टिविटी मिलेगी।
सेक्टर 33 में बनेगा मेट्रो डिपो
पहले इस मेट्रो प्रोजेक्ट के तहत सेक्टर 101 में मेट्रो डिपो बनाने की योजना थी लेकिन अब उसे बदलकर सेक्टर 33 में डिपो बनाने का निर्णय लिया गया है। डिपो वह जगह होती है जहां मेट्रो की मरम्मत और रखरखाव होता है। डिपो के स्थान में यह बदलाव परियोजना के बेहतर संचालन और स्थान की उपलब्धता के आधार पर किया गया है।
दूसरे चरण में साइबर सिटी तक पहुंचेगी मेट्रो
ओल्ड गुरुग्राम मेट्रो प्रोजेक्ट के दूसरे चरण में मेट्रो को सेक्टर-9 से लेकर दिल्ली-जयपुर हाईवे पर स्थित डीएलएफ साइबर सिटी तक ले जाया जाएगा। इसके लिए जरूरी सर्वे का काम शुरू हो चुका है और उम्मीद है कि यह काम अगले महीने तक पूरा हो जाएगा।
इस रूट पर मेट्रो चलने से गुरुग्राम के पुराने और नए हिस्सों के बीच सफर आसान और तेज हो जाएगा। साथ ही दिल्ली और गुरुग्राम के बीच यातायात का दबाव भी कम होगा।
लोगों को मिलेगा बड़ा फायदा
इस मेट्रो प्रोजेक्ट के पूरा होने से गुरुग्राम के लाखों लोगों को लाभ मिलेगा। उन्हें ट्रैफिक जाम से राहत मिलेगी और यात्रा में समय की बचत होगी। शहर में प्रदूषण भी कम होगा और पब्लिक ट्रांसपोर्ट की सुविधा बेहतर होगी।