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Haryana news: 71 साल तक नहीं फहराया गया तिरंगा, जानें हरियाणा के इस गांव की दर्दभरी कहानी

Haryana news: हरियाणा के भिवानी जिले का एक गांव है रोहनात जिसकी आजादी की कहानी जितनी गौरवशाली है उतनी ही दर्दभरी भी, आइए जानें इसके पीछे की पूरी कहानी... 
 
71 साल तक नहीं फहराया गया तिरंगा, जानें हरियाणा के इस गांव की दर्दभरी कहानी
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Top Haryana news: आज जब पूरा देश 15 अगस्त को बड़े धूमधाम से मनाता है वहीं रोहनात ऐसा गांव है जहां आज़ादी के 71 साल बाद पहली बार तिरंगा फहराया गया। यह ऐतिहासिक मौका 23 मार्च 2018 को हुआ जब हरियाणा के तत्कालीन मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर गांव पहुंचे और ध्वजारोहण किया।

अंग्रेजों से लड़ाई और बलिदान की गाथा
इस गांव का इतिहास 1887 से जुड़ा हुआ है जब भारत अंग्रेजों के अत्याचार झेल रहा था। 1857 की क्रांति के दौरान रोहनात गांव के लोगों ने अंग्रेजों के खिलाफ जमकर लड़ाई लड़ी। उन्होंने 12 अंग्रेज अफसरों को मार गिराया। इससे नाराज होकर अंग्रेजों ने गांव में तबाही मचाई।

29 मई 1857 को अंग्रेजी सैनिकों ने गांव पर हमला किया और निर्दोष ग्रामीणों को बेरहमी से मारा। जो लोग बचे उन्हें हांसी ले जाकर रोड रोलर से कुचल दिया गया। उस सड़क को आज भी लाल सड़क के नाम से जाना जाता है।

गांववालों पर हुए भयानक अत्याचार
अंग्रेजों ने गांव के पुरुषों को फांसी पर चढ़ा दिया, महिलाओं के साथ अत्याचार किए गए। कई महिलाओं ने अपनी इज्जत बचाने के लिए कुएं में कूदकर जान दे दी। अंग्रेजों ने गांव की खेती योग्य जमीन भी छीन ली और नीलाम कर दी। उन्होंने गांव के लोगों को माफी मांगने को कहा लेकिन गांव वालों ने इंकार कर दिया।

आज़ादी के बाद भी अधूरी रहीं उम्मीदें
देश को आज़ादी मिलने के बाद गांववालों को उम्मीद थी कि उनकी ज़मीन उन्हें वापस मिलेगी और गांव को जरूरी सुविधाएं मिलेंगी लेकिन ऐसा नहीं हुआ। नाराज होकर गांव वालों ने फैसला किया कि जब तक उन्हें न्याय नहीं मिलेगा तब तक वे तिरंगा नहीं फहराएंगे। इस विरोध के चलते 71 सालों तक गांव में झंडा नहीं फहराया गया।

सरकार की पहल लेकिन अधूरी उम्मीदें
साल 2018 में मुख्यमंत्री खट्टर ने गांव पहुंचकर झंडा फहराया और विकास कार्यों व जमीन वापसी का वादा किया। इसके बाद गांव के स्कूल में तिरंगा फहराया जाने लगा लेकिन ग्रामीणों का कहना है कि उनकी सारी मांगें अभी तक पूरी नहीं हुई हैं। इसलिए गांव में सिर्फ स्कूल तक ही तिरंगा फहराने की परंपरा सीमित है।