Haryana news: हरियाणा से आई बड़ी खबर, सबसे ऊंचा रावण का पुतला बनाने का जुनून

Top Haryana: तेजेंद्र चौहान ने इस जुनून को पूरा करने के लिए उन्होंने अपनी 12 एकड़ जमीन बेच दी और करीब 5 करोड़ रुपये खर्च कर दिए। तेजेंद्र चौहान ने अब तक 7 रिकॉर्ड भी अपने नाम किए हैं जिनमें से 5 लिम्का बुक में और 2 वर्ल्ड रिकॉर्ड ऑफ इंडिया में दर्ज हैं।
215 फीट का रावण पुतला
इस साल तेजेंद्र चौहान राजस्थान के कोटा में 215 फीट ऊंचा रावण पुतला बना रहे हैं। यह पुतला इस दशहरे पर लोगों के सामने आएगा। इस बार रावण के पुतले में कुछ खास बदलाव किए गए हैं। इसे राजस्थानी स्टाइल में डिजाइन किया गया है।
पुतले के चेहरे पर 25 फीट की ऊंचाई होगी और मूंछें राजपूती शैली में होंगी जो 8 से 10 फीट लंबी होंगी। कोटा में पिछले 131 सालों से रावण दहन किया जा रहा है, और इस बार मेला प्रबंधन ने तेजेंद्र चौहान को पुतला बनाने के लिए आमंत्रित किया है।
25 कलाकारों की मेहनत और 44 लाख रुपये का खर्च
तेजेंद्र चौहान के साथ 25 कलाकारों की टीम इस विशाल पुतले को तैयार कर रही है। इस पुतले के निर्माण में लगभग 44 लाख रुपये खर्च होने का अनुमान है। पुतले के अंदर 20 रिमोट सेंसर लगाए गए हैं, जिनसे बटन दबाने पर पटाखे फूटने लगते हैं और पुतला जलता है।
रावण बनाने की शुरुआत 1986 से
तेजेंद्र चौहान ने रावण का पुतला बनाना 1986 में शुरू किया था। उन्होंने अपने गांव बराड़ा में पहला 20 फीट ऊंचा रावण तैयार किया था जिसे देखकर सबने उनकी सराहना की। इसके बाद उन्होंने हर साल पुतले की ऊंचाई और आकार बढ़ाया।
तेजेंद्र खुद पुतला बनाने में खर्च उठाते हैं जिस कारण उनकी 12 एकड़ जमीन भी बिक गई। अब तक वह इस शौक पर करीब 5 करोड़ रुपये खर्च कर चुके हैं।
7 रिकॉर्ड और दुनिया का सबसे बड़ा पुतला
तेजेंद्र ने 2011 से 2016 तक लगातार 5 साल तक लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में अपना नाम दर्ज कराया। 2018 में उन्होंने चंडीगढ़ में 221 फीट ऊंचा रावण पुतला तैयार किया जो दुनिया का सबसे बड़ा मानव निर्मित पुतला था। इस पुतले को बनाने में 40 कारीगरों ने काम किया और 3 हजार मीटर कपड़ा तथा 70 क्विंटल लोहा खर्च किया गया।
प्रधानमंत्री का कार्यक्रम हुआ कैंसिल
2014 में तेजेंद्र ने जो रावण पुतला बनाया था उसकी ऊंचाई देखकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का कार्यक्रम सुरक्षा कारणों से टालना पड़ा था। पुतले और स्टेज के बीच की दूरी बहुत कम थी इसलिए सुरक्षा टीम ने कार्यक्रम को स्थगित करने का फैसला लिया।
इसके बाद राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को कार्यक्रम में बुलाया गया। हालांकि उन्होंने बटन दबाने से मना कर दिया और अंततः तेजेंद्र ने खुद ही पुतला जलाने के लिए बटन दबाया।