Beans farming: बंपर कमाई के लिए बेस्ट है बीन्स की ये किस्में, यहां से ऑनलाइन खरीदें बीज
Beans seeds: मौजूदा समय में किसान धान और गेहूं के अलावा दलहनी फसलों की खेती भी बड़े पैमाने पर करने लगे हैं। इससे किसानों को बंपर कमाई भी हो रही है।

Top Haryana, New Delhi: किसान बड़े स्तर पर दलहनी फसलों की खेती कर रहे हैं। ऐसे में अब किसानों की सुविधा के लिए राष्ट्रीय बीज निगम ने ऑनलाइन बीन्स के बीज को बेचना शुरू कर दिया हैं। दलहनी फसलों में कम पानी में बेहतर उपज देने वाली नकदी फसलों की अगर बात की जाए तो इस सूची में बीन्स का नाम भी आता हैं।
इसे किसानों के लिए कम लागत वाली फसल भी मानी जाती है। ऐसा इसलिए माना जाता है क्योंकि इसकी खेती के लिये अलग से खाद और पानी की जरूरत नहीं होती है। ये कम पानी और सूखे इलाकों में भी किसानों को उतनी ही अच्छी उपज देती है। भारत के कई राज्यों में इसकी खेती पशु चारे के उद्देश्य से भी की जाती है।
वहीं, किसान इसकी खेती से भी बेहतर मुनाफा भी कमा सकते हैं। अगर आप भी बीन्स की खेती को करना चाहते हैं और उसकी उन्नत किस्म की वैरायटी कोहिनूर 51-IUS-500 का बीज घर पर मंगवाना चाहते हैं तो ऐसे में आप नीचे दी गई जानकारी से बीज ऑनलाइन अपने घर पर भी मंगवा सकते हैं।
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यहां से खरीदें बीन्स का बीज
देश भर के किसान मौजूदा समय में धान और गेहूं के अलावा दलहनी फसलों की खेती भी बड़े पैमाने पर करने लगे हैं।इससे किसानों को बंपर कमाई भी हो रही है। सरकार ने किसानों की आय को बढ़ाने के लिए दलहनी फसलों को उगाने की दिशा में बड़े जोर से काम किया है। इसलिए किसान अब बड़े स्तर पर इसकी खेती कर रहे हैं।
ऐसे में अब किसानों की सुविधा के लिए राष्ट्रीय बीज निगम ऑनलाइन माध्यम से ही बीन्स के बीज बेच रहा है। इस बीज को आप एनएससी के ऑनलाइन स्टोर से भी खरीद सकते है। बीन्स की खेती से किसान बंपर कमाई कर सकते हैं। किसान इसके साथ ही इसे ऑनलाइन ऑर्डर करके बीज को अपने घर भी मंगवा सकते हैं। आपको जानकारी के लिए बता दें कि बीन्स की खेती मार्च-अप्रैल में की जाती है।
बीन्स की इस किस्म की खासियत
बीन्स की कोहिनूर 51-IUS-500 वैराइटी का फल हरे रंग का होता है। इसके फल अन्य किस्मों से काफी लंबे होते हैं।इस बीन्स के बीज को लगाने के बाद 50 से लेकर 60 दिनों के अंदर पहली तुड़ाई शुरू की जा सकती हैं।
वहीं, यह किस्म 90 से लेकर 100 दिनों में पूरी तरह से पककर तैयार हो जाती है। इस किस्म की खेती किसान साल के सभी तीनों सीजन यानी कि रबी, खरीफ और जायद में भी कर सकते हैं।