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Haryana news: हरियाणा में सरकारी आदेशों को अदालत में चुनौती देने से पहले करना होगा ये काम

Haryana news: सरकारी आदेशों को चुनौती देने के लिए अब पहले यह काम करना बहुत जरूरी है, आइए जानें पूरी खबर में...
 
हरियाणा में सरकारी आदेशों को अदालत में चुनौती देने से पहले करना होगा ये काम
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Top Haryana: हरियाणा सरकार ने सरकारी कर्मचारियों के लिए एक नया नियम लागू किया है। अब कोई भी कर्मचारी सीधे अदालत में जाकर किसी सरकारी आदेश को चुनौती नहीं दे सकेगा।

पहले उसे अपनी शिकायत अपने ही विभाग की शिकायत निवारण समिति (Grievance Redressal Committee) के सामने रखनी होगी। यह फैसला राज्य सरकार ने अनावश्यक मुकदमों को रोकने और तुरंत समाधान के उद्देश्य से लिया है।

हर विभाग में बनेगी शिकायत समिति

राज्य सरकार ने सभी विभागों और स्वायत्त संस्थाओं को निर्देश दिए हैं कि वे 15 दिनों के भीतर जिला और मुख्यालय स्तर पर कर्मचारी शिकायत निवारण समिति का गठन करें। इस समिति में विभागीय अधिकारी, प्रशासनिक सचिव और वित्त विभाग का प्रतिनिधि शामिल होगा। यह समिति हरियाणा की स्टेट लिटिगेशन पॉलिसी के तहत काम करेगी।

शिकायत का निपटारा 8 हफ्तों में होगा

सरकार ने तय किया है कि समिति को मिलने वाली हर शिकायत का समाधान अधिकतम 8 सप्ताह के भीतर करना अनिवार्य होगा। शिकायत मिलने के 7 दिनों के भीतर उस पर सुनवाई की प्रक्रिया शुरू करनी होगी। कर्मचारी चाहे तो समिति के सामने व्यक्तिगत रूप से भी अपना पक्ष रख सकते हैं।

ऑनलाइन दर्ज होगी शिकायत

सरकारी कर्मचारी अब अपनी शिकायतें ऑनलाइन दर्ज कर सकेंगे। इसके लिए एक विशेष सॉफ्टवेयर प्लेटफॉर्म तैयार किया जाएगा, जिसे राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (NIC) के सहयोग से विकसित किया जाएगा। इस प्लेटफॉर्म पर शिकायत दर्ज करने के साथ-साथ उसकी स्थिति को भी ट्रैक किया जा सकेगा जिससे पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित हो सकेगी।

अपील का भी मिलेगा मौका

अगर किसी कर्मचारी को शिकायत निवारण समिति के फैसले से संतुष्टि नहीं होती तो वह प्रमुख सचिव के पास अपील कर सकता है। इसका उद्देश्य कर्मचारियों को एक न्यायिक प्रक्रिया उपलब्ध कराना है, जिससे वे बिना अदालत जाए अपनी समस्याओं का समाधान पा सकें।

अदालत में जाने से पहले विभागीय प्रक्रिया जरूरी

इस नई व्यवस्था के लागू होने के बाद कर्मचारी केवल तभी अदालत का रुख कर सकेंगे जब वे पहले विभागीय स्तर पर सभी प्रक्रिया पूरी कर चुके होंगे। इससे सरकारी विभागों पर मुकदमों का बोझ कम होगा और न्यायिक प्रक्रिया भी तेज होगी।

यह नई प्रणाली राज्य में कर्मचारियों के हितों की रक्षा के साथ-साथ सरकारी कार्यप्रणाली को और अधिक पारदर्शी और उत्तरदायी बनाने की दिशा में एक अहम कदम माना जा रहा है।