Haryana news: हरियाणा के किसानों को सरकार ने दी राहत, मुआवजा राशि व खाद को लेकर दिए बड़े फैसले

Top Haryana news: हाल के दिनों में पहाड़ी और मैदानी इलाकों में भारी बारिश के कारण हरियाणा राज्य के कई जिलों में बाढ़ आ गई जिससे किसानों की फसलें जलमग्न हो गई हैं और व्यापक तबाही मची है।
एक दर्जन से ज्यादा जिलों में किसानों की फसलें पूरी तरह से नष्ट हो गई हैं और कई गांव जलमग्न हो चुके हैं। इसके कारण आम जनजीवन भी बुरी तरह प्रभावित हुआ है, खासकर कृषि कार्यों में भारी नुकसान हुआ है।
सरकार ने लिया मुआवजे का संकल्प
हरियाणा सरकार इस आपदा को गंभीरता से ले रही है और मुख्यमंत्री नायब सैनी ने इस संबंध में तत्काल कदम उठाने के निर्देश दिए हैं। मुख्यमंत्री ने सभी जिला उपायुक्तों को यह निर्देश दिए हैं कि वे फसल नुकसान के मुआवजे के लिए युद्धस्तर पर कार्य करें।
किसानों को किसी भी प्रकार की परेशानी का सामना नहीं होने दिया जाएगा। इस प्रक्रिया की निगरानी स्वयं उपायुक्त करेंगे और समय-समय पर राज्य सरकार को स्थिति की रिपोर्ट भेजेंगे।
"मुझे फसल मेरा ब्यौरा" पोर्टल पर पंजीकरण
मुख्यमंत्री नायब सैनी ने कहा कि बाढ़ से प्रभावित किसान अपनी फसलों में हुए नुकसान को सरकार के “मेरी फसल, मेरा ब्यौरा” ई-क्षतिपूर्ति पोर्टल पर 15 सितंबर तक दर्ज करा सकते हैं।
अगर आवश्यकता पड़ी तो इस तारीख को आगे बढ़ाया भी जा सकता है। इस पोर्टल के माध्यम से किसान अपने फसल के नुकसान का विवरण सरकार तक पहुंचा सकते हैं ताकि उन्हें उचित मुआवजा मिल सके।
गांवों में सहायता शिविर का आयोजन
चूंकि सभी किसान तकनीकी रूप से सक्षम नहीं होते इसलिए मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए हैं कि तहसीलदार और पटवारी मिलकर अपने-अपने क्षेत्र के गांवों में सहायता शिविर आयोजित करें ताकि किसानों को मुआवजा प्रक्रिया में कोई परेशानी न हो।
इन शिविरों का आयोजन गांवों में ही किया जाएगा ताकि किसानों को दूर-दराज तक न जाना पड़े और उनकी समस्याओं का समाधान सुलभ तरीके से हो सके।
खाद-बीज की व्यवस्था सुनिश्चित करना
मुख्यमंत्री नायब सैनी ने यह भी कहा कि किसानों को आगामी फसल की बिजाई के लिए खाद की आवश्यकता होगी। ऐसे में प्रशासन को यह सुनिश्चित करना होगा कि यूरिया और डीएपी जैसी खादों की पर्याप्त व्यवस्था हर जिले में हो।
उन्होंने निर्देश दिए कि प्रत्येक जिले में किसानों को टोकन के हिसाब से खाद उपलब्ध कराई जाएगी और इसकी जानकारी प्रशासन द्वारा गांवों में पहले ही दी जाएगी। इससे किसानों को खाद के लिए बिना किसी परेशानी के सीधे वितरण केंद्र पर पहुंचने में मदद मिलेगी।