Haryana news: हरियाणा में इस जिले के नगर निगम चुनाव में महिलाओं और बीसी वर्ग की बढ़ी हिस्सेदारी, पुराने समीकरण बदलेंगे

Top Haryana: शहरी स्थानीय निकाय विभाग ने वार्डबंदी और आरक्षण की अधिसूचना जारी कर दी है। इस बार भी पंचकूला नगर निगम में कुल 20 वार्ड रहेंगे लेकिन आरक्षण के चलते चुनावी तस्वीर पहले से काफी अलग होगी।
महिलाओं की हिस्सेदारी ज्यादा
नई आरक्षण नीति के तहत इस बार पंचकूला नगर निगम में महिलाओं को पहले से ज्यादा मौके मिलेंगे। एससी वर्ग के लिए कुल तीन वार्ड आरक्षित किए गए हैं, जिनमें से एक पद महिला उम्मीदवार के लिए होगा। वहीं बीसी वर्ग को भी इस बार बड़ा मौका दिया गया है।
बीसी वर्ग को मिली अहमियत
पिछले चुनाव में केवल एक वार्ड बीसी वर्ग के लिए आरक्षित था। लेकिन इस बार बीसी-ए और बीसी-बी दोनों वर्गों को अलग-अलग एक-एक वार्ड दिया गया है। खास बात यह है कि इन दोनों वार्डों पर सिर्फ महिला उम्मीदवार ही चुनाव लड़ पाएंगी। यानी बीसी वर्ग और महिलाओं की हिस्सेदारी पहले से काफी बढ़ जाएगी।
सामान्य वर्ग पर असर
आरक्षण की नई व्यवस्था से सामान्य वर्ग का एक वार्ड कम हो गया है। इसका सीधा असर राजनीतिक दलों पर पड़ेगा क्योंकि उन्हें अब उम्मीदवारों के चयन में और ज्यादा सोच-समझकर कदम उठाना होगा। इसका मतलब है कि पुराने समीकरण बदलेंगे और नए चेहरे चुनावी मैदान में उतर सकते हैं।
वार्डबंदी में नया तरीका
इस बार वार्डबंदी का आधार भी बदल गया है। पहले जहां जनगणना के आंकड़े इस्तेमाल होते थे, वहीं इस बार परिवार पहचान पत्र (PPP) डेटा का इस्तेमाल किया गया है। इससे हर वार्ड की आबादी लगभग बराबर रखी जाएगी।
जिला प्रशासन के पास यह डेटा पहले से मौजूद है जिससे वार्डों की सटीक सीमा तय की जा सकेगी। इस बदलाव से कई नए उम्मीदवारों को भी चुनाव लड़ने का मौका मिल सकता है।
बढ़ी चुनावी हलचल
आरक्षण और वार्डबंदी की अधिसूचना जारी होते ही पंचकूला में चुनावी हलचल तेज हो गई है। भाजपा और कांग्रेस के साथ-साथ आप, जेजेपी और इनेलो भी अपने-अपने समीकरण साधने में जुट गई हैं। पंचकूला में बणिया समाज के वोट अहम भूमिका निभाते हैं ऐसे में सभी दल इस वर्ग को साधने की रणनीति बना रहे हैं।
तीन नगर निगमों का कार्यकाल पूरा होगा
केवल पंचकूला ही नहीं, बल्कि अंबाला और सोनीपत नगर निगमों में भी मेयर और पार्षदों का कार्यकाल जनवरी 2026 में पूरा होगा। ऐसे में तीनों निगमों में एक साथ चुनाव होने की संभावना है। इस बार आरक्षण और वार्डबंदी के नए नियमों से चुनावी तस्वीर पूरी तरह बदल जाएगी।