Haryana news: हरियाणा में 10 आईएमटी बनाने की योजना पर संकट, हाई कोर्ट ने सरकार से मांगा जवाब

Top Haryana news: सरकार की नई भूमि खरीद नीति 2025 को कोर्ट में चुनौती दी गई है। इस पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को नोटिस भेजकर जवाब मांगा है। यह पॉलिसी हाल ही में, 9 जुलाई 2025 को नोटिफाई की गई थी।
नीति को बताया किसानों के खिलाफ
जींद जिले के अलेवा गांव के किसान सुरेश कुमार ने इस नीति को हाई कोर्ट में चुनौती दी है। उन्होंने अपनी याचिका में कहा है कि यह नीति किसानों के खिलाफ है और इसमें पारदर्शिता की कमी है।
उनका कहना है कि सरकार बिना ठीक तरह से जानकारी दिए और उचित प्रक्रिया अपनाए किसानों की जमीन लेना चाहती है। यह नीति 2013 के भूमि अधिग्रहण कानून के प्रावधानों का उल्लंघन करती है।
2013 कानून के नियमों की अनदेखी
याचिकाकर्ता के वकील हरविंदर पाल सिंह ईशर ने कोर्ट में बताया कि साल 2013 में लागू हुए 'राइट टू फेयर कॉम्पेनसेशन एंड ट्रांसपेरेंसी इन लैंड एक्विजिशन, रिहैबिलिटेशन एंड रिसेटलमेंट एक्ट' के अनुसार, किसी भी जमीन के अधिग्रहण से पहले सामाजिक प्रभाव का आकलन करना जरूरी होता है।
साथ ही ग्राम सभा की मंजूरी भी लेनी होती है। लेकिन सरकार की नई नीति में इन नियमों को नजरअंदाज कर दिया गया है।
सरकार 35 हजार एकड़ जमीन अधिग्रहित करना चाहती है
हरियाणा सरकार का लक्ष्य है कि राज्य में 10 आईएमटी बनाए जाएं और अन्य विकास परियोजनाओं के लिए कुल 35 हजार 500 एकड़ उपजाऊ भूमि अधिग्रहीत की जाए।
इसके लिए सरकार ने ई-भूमि पोर्टल के जरिए किसानों से आवेदन मांगे हैं। हालांकि किसानों और सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि इतनी बड़ी मात्रा में उपजाऊ जमीन छीनना किसानों के हित में नहीं है।
संविधान और किसानों के अधिकारों का उल्लंघन
याचिकाकर्ता का कहना है कि यह नीति न केवल भूमि अधिग्रहण कानून का उल्लंघन करती है बल्कि भारतीय संविधान में दिए गए मौलिक अधिकारों के भी खिलाफ है। किसानों को बिना उचित जानकारी और सहमति के उनकी जमीन से बेदखल किया जा रहा है जो कि सही नहीं है।
अब आगे क्या?
अब हाई कोर्ट ने हरियाणा सरकार को नोटिस जारी कर इस मामले में जवाब देने को कहा है। अगली सुनवाई में यह तय होगा कि क्या सरकार की नीति वैध है या इसे वापस लिया जाएगा। इस फैसले का असर पूरे राज्य की विकास योजनाओं और खासकर किसानों के भविष्य पर पड़ सकता है।
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