Haryana News: हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, कैथल पुलिस कर्मचारियों को प्रमोशन और पेंशन का लाभ

Top Haryana News: अदालत ने रोहतक रेंज द्वारा जारी वह विवादित आदेश रद्द कर दिया है जिसमें कैथल के पुलिसकर्मियों की सीनियरिटी और प्रमोशन को बदल दिया गया था। कोर्ट ने साफ कहा कि कैथल जिले के कर्मचारियों की वरिष्ठता और प्रमोशन का निर्णय केवल करनाल रेंज के अधिकार क्षेत्र में आता है।
70 कर्मचारियों को होगा सीधा फायदा
इस आदेश से कैथल जिले के लगभग 70 पुलिसकर्मियों को लाभ मिलेगा। इनमें एएसआई और एसआई रैंक के अधिकारी शामिल हैं। खास बात यह है कि इनमें से कुछ कर्मचारी अब सेवानिवृत्त भी हो चुके हैं। ऐसे कर्मचारियों को भी प्रमोशन और पेंशन से जुड़े वित्तीय लाभ मिलेंगे।
याचिका और विवाद की शुरुआत
मामला सब-इंस्पेक्टर मोहिंदर सिंह और अन्य पुलिस कर्मचारियों की याचिका से जुड़ा था। याचिकाकर्ताओं के वकील कर्मवीर सिंह बनयाना ने अदालत को बताया कि उनके मुवक्किल वर्ष 2004 से 2008 के बीच कैथल जिले में हेड कांस्टेबल के पद पर कन्फर्म हुए थे।
जबकि उनके जूनियर कर्मचारी करनाल और पानीपत में 2009 से 2011 के बीच कन्फर्म हुए। इसके बावजूद 2019 में रोहतक रेंज ने एक नई सीनियरिटी सूची जारी कर दी और जूनियर कर्मचारियों को सीनियर बना दिया। इतना ही नहीं उन्हें पुराने समय से प्रमोशन भी दे दिए गए।
नियमों के मुताबिक अधिकार करनाल रेंज का
वकील ने तर्क दिया कि पुलिस विभाग में नियम स्पष्ट हैं। हेड कांस्टेबल तक की सीनियरिटी जिला स्तर पर तय होती है, जबकि एएसआई और एसआई की सीनियरिटी रेंज स्तर पर तय की जाती है।
वर्ष 2011 में करनाल रेंज का गठन हो चुका था और कैथल, करनाल व पानीपत के पुलिसकर्मी उसी रेंज के अधीन आते हैं। इसलिए रोहतक रेंज को इसमें दखल देने का कोई अधिकार नहीं था।
अदालत की सख्त टिप्पणी
न्यायमूर्ति जगमोहन बंसल ने सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद माना कि रोहतक रेंज का आदेश पूरी तरह से गलत था। अदालत ने इसे रद्द करते हुए निर्देश दिया कि हरियाणा के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) खुद या किसी अन्य अधिकारी को नियुक्त कर तीन माह के भीतर उचित आदेश जारी करें।
कर्मचारियों का उत्साह बढ़ा
हाईकोर्ट के इस फैसले से कैथल जिले के पुलिस कर्मचारियों में खुशी की लहर है। पुलिस लाइन और थानों में तैनात कर्मचारियों ने इसे वर्षों से लंबित अपने हक की जीत बताया। उनका कहना है कि अब उनका मनोबल और मजबूत होगा।
कर्मचारी संगठनों ने भी इस निर्णय का स्वागत किया और इसे ऐतिहासिक बताया। साथ ही सरकार से अपील की कि आदेश का पालन बिना देरी के किया जाए।