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Haryana news: दो मंजिला घर और कुत्ता पालने वालों के लिए बजी खतरे की घंटी, हरियाणा सरकार ने उठाया तगड़ा कदम

Haryana news: हरियाणा में दो मंजिला मकान, महंगी ज़मीन और कुत्ता पालने वालों के लिए खतरनाक समय शुरू हो गया है। सरकार ने सख्त कार्रवाई शुरु कर दी है।
 
दो मंजिला घर और कुत्ता पालने वालों के लिए बजी खतरे की घंटी, हरियाणा सरकार ने उठाया तगड़ा कदम
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Top Haryana: हरियाणा से एक बड़ी खबर सामने आई है, जहां सरकार ने उन लोगों पर कड़ी कार्रवाई करने का फैसला लिया है, जिन्होंने परिवार पहचान पत्र (PPP) में अपनी आय कम दिखाकर बीपीएल (BPL) योजनाओं का लाभ लिया है। कुछ लोग जिनके पास दो से तीन मंजिला मकान और जमीन-जायदाद है, वे भी बीपीएल और अन्य सरकारी योजनाओं का फायदा उठा रहे हैं। अब सरकार ने इन मामलों की जांच शुरू कर दी है।

वेरिफिकेशन प्रक्रिया शुरू

जानकारी के मुताबिक, सरकार ने PPP की वेरिफिकेशन प्रक्रिया को शुरु कर दिया है। हाल ही में हुई प्रारंभिक जांच में यह सामने आया है कि कुछ लोग जिनके पास आलीशान घर और महंगे पालतू जानवर हैं, वे अपनी आय को 1.80 लाख रुपये से कम दिखा रहे हैं, ताकि वे बीपीएल योजनाओं का लाभ उठा सकें। इन मामलों की रिपोर्ट अब जिला फूड सप्लाई कंट्रोलर (DFSC) और जिला समाज कल्याण (DSW) को भेजी जा चुकी है, ताकि सही तरीके से जांच की जा सके।

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अशोभनीय जीवनशैली और बीपीएल सूची

वेरिफिकेशन में सामने आईं रिपोर्ट्स ने प्रशासन को चौंका दिया है। जिन लोगों का जीवन स्तर बहुत अच्छा है, वे भी बीपीएल सूची में शामिल हैं। सरकार ने इन मामलों की जांच के लिए दोनों विभागों को आदेश दिए हैं और आगे की कार्रवाई की योजना बनाई जा रही है।

रैंडम जांच और परेशानी

गांवों और शहरों में हर रोज़ रैंडमली 5 से 7 PPP की सूची बनाई जा रही है और जांच की जा रही है कि क्या वे वास्तव में बीपीएल के लिए पात्र हैं। जब वेरिफिकेशन टीम इन घरों में जाती है, तो लोग पूरी जानकारी नहीं देते और दस्तावेज़ भी नहीं दिखाते। इस कारण जांच में दिक्कत आ रही है और वेरिफिकेशन प्रक्रिया धीमी हो रही है। लोग डरते हैं कि यदि वे सही जानकारी देंगे तो उनका बीपीएल कार्ड कट सकता है।

राशन डिपो और सही जानकारी की कमी

जिले में करीब 3 लाख 54 हजार 736 बीपीएल कार्डधारक हैं। हर गांव या शहर में राशन डिपो होते हैं, जहां लोग राशन लेने आते हैं। डिपो संचालकों को कार्डधारकों की आर्थिक स्थिति के बारे में पूरी जानकारी होती है। यदि डिपो संचालकों से सही जानकारी मिलती है, तो वेरिफिकेशन जल्दी पूरी हो सकती है। लेकिन अभी तक सही सूचना नहीं मिल रही है, जिससे असल जरूरतमंद लोग बीपीएल सूची से वंचित हो रहे हैं और गलत जानकारी देने वालों को इसका फायदा मिल रहा है।

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