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Gogamedi Mela 2025: इस तारीख से शुरू होगा राजस्थान का प्रसिद्ध धार्मिक मेला, लाखों श्रद्धालु लगाएंगे धोक

Gogamedi Mela 2025: गोगामेड़ी का मेला जल्द ही शुरू होने जा रहा है, आइए जानें पूरी खबर विस्तार से...
 
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Top Haryana: राजस्थान के हनुमानगढ़ जिले में स्थित गोगामेड़ी में हर साल लगने वाले प्रसिद्ध गोगामेड़ी मेले की तैयारियां शुरू हो गई हैं। यह मेला 9 अगस्त 2025 से शुरू होगा और सितंबर तक चलेगा।

यह धार्मिक मेला जाहरवीर गोगा जी की स्मृति में भादो मास में आयोजित किया जाता है और इसे गोगा नवमी के पर्व के रूप में मनाया जाता है। हरियाणा की सीमा से सटे इस स्थान पर हर साल लाखों की संख्या में श्रद्धालु देश-विदेश से पहुंचते हैं।

क्यों मनाया जाता है गोगामेड़ी मेला

गोगा जी को लोग नाग देवता, वीर योद्धा और धर्म रक्षक के रूप में पूजते हैं। उनकी जन्मतिथि भादो मास की नवमी मानी जाती है। इसी कारण पूरे भादो महीने यहां धार्मिक आयोजन होते हैं।

खास बात यह है कि गोगा जी के भक्त पहले गुरु गोरखनाथ की धूणी पर नमन करते हैं फिर गोरक्ष गंगा में स्नान करके तीन किलोमीटर तक कनक दंडवत करते हुए गोगामेड़ी पहुंचते हैं और गोगा जी की समाधि पर धोक (नमन) लगाते हैं।

श्रद्धालु करते हैं विशेष चढ़ावा

गोगामेड़ी में स्थित मंदिर में गोगा जी की समाधि बनी हुई है। श्रद्धालु अपनी मनोकामना पूरी होने पर यहां नारियल, खील, पतासे, नीली ध्वजा, सोने-चांदी के छत्र आदि चढ़ाते हैं। इसके अलावा श्रद्धालु रानी सीरियल, माता बाछल, नाहर सिंह पांडे, भज्जू कोतवाल, रत्तना हाजी, सबल सिंह बावरी, केसरमल, जीत कौर, श्याम कौर और भाई मदारण की समाधियों पर भी नमन करते हैं।

गोगामेड़ी में होता है ऊंट मेला भी

भादो मास में गोगामेड़ी में उत्तर भारत का सबसे बड़ा ऊंट मेला भी आयोजित होता है। इसमें देशभर के कोने-कोने से ऊंट व्यापारी, किसान और पशुपालक शामिल होते हैं। यह मेला राजस्थान सरकार के पशुपालन विभाग की देखरेख में होता है। ऊंटों की खरीद-फरोख्त के साथ-साथ पशु प्रदर्शनी और सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते हैं।

भक्तों को आती है गोगा जी की छाया

गोगा जी की पूजा के दौरान भक्तों को गहरी आस्था और भक्ति भाव की अनुभूति होती है। रात के समय यहां रात्रि जागरण होता है जिसमें भक्त गोगा जी की घोट और छाया आने का अनुभव करते हैं। इस दौरान कई श्रद्धालु भक्ति में इतना डूब जाते हैं कि वे खुद को लोहे की जंजीरों से मारने लगते हैं जिसे भक्तिभाव का प्रतीक माना जाता है।

हिंदू-मुस्लिम एकता का प्रतीक

गोगामेड़ी का यह स्थल सांप्रदायिक सौहार्द का प्रतीक भी है। मंदिर में हिंदू और मुस्लिम दोनों धर्मों के पुजारी पूजा-अर्चना कराते हैं। यहां की 158 एकड़ भूमि राजस्थान सरकार के देवस्थान विभाग के अधीन है। गोगामेड़ी मेला श्रद्धा, संस्कृति और भाईचारे का अनोखा संगम है जो हर साल लाखों लोगों को अपनी ओर खींचता है।