HKRNL कर्मचारियों की नौकरी पर संकट, हरियाणा सरकार के नए आदेश से मचा हड़कंप

Top Haryana: हरियाणा सरकार के एक नए आदेश से हरियाणा कौशल रोजगार निगम लिमिटेड (HKRNL) के जरिए काम कर रहे संविदा कर्मचारियों की नौकरी पर खतरा मंडरा रहा है। यह आदेश 3 अप्रैल को मुख्य सचिव कार्यालय की ओर से जारी किया गया था।
जिसमें कहा गया है कि जिन संविदा कर्मचारियों को हरियाणा अनुबंधित कर्मचारी (सेवा सुरक्षा) अधिनियम, 2024 के तहत सुरक्षा नहीं मिली है, उन्हें सेवा से हटाया जा सकता है। इससे हजारों कर्मचारियों के लिए संकट खड़ा हो गया है।
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क्या है सरकार का आदेश?
सरकार ने अपने आदेश में कहा है कि जिन विभागों, बोर्डों या निगमों में अब रिक्त पद नहीं हैं, वहां पहले से काम कर रहे HKRNL या आउटसोर्सिंग पॉलिसी के तहत लगे कर्मचारियों को हटा दिया जाएगा।
सरकार चाहती है कि जिन युवाओं ने हाल ही में HSSC की CET परीक्षा पास कर ग्रुप C की नौकरी पाई है, उन्हें नियुक्त किया जाए।
इस आदेश के अनुसार हटाए जाने वाले कर्मचारियों को ‘पहले आओ, पहले जाओ’ के सिद्धांत के तहत हटाया जाएगा। यानी जो कर्मचारी सबसे पहले भर्ती हुए थे, उन्हें पहले निकाला जाएगा। इसका मकसद नए नियुक्त ग्रुप C कर्मचारियों को जगह देना है।
किन कर्मचारियों को नहीं निकाला जाएगा?
हालांकि सरकार ने यह भी कहा है कि अगर कोई संविदा कर्मचारी 15 अगस्त, 2019 से पहले से किसी पद पर कार्यरत है और उसे आउटसोर्सिंग नीति या HKRNL के जरिए लगाया गया था।
ऐसे कर्मचारियों को फिलहाल हटाया नहीं जाएगा। उनके मामले में संबंधित विभाग अनुबंधित कर्मचारी सेवा सुरक्षा अधिनियम, 2024 के तहत कार्रवाई करेगा।
कर्मचारियों और विपक्ष की नाराज़गी
सरकार के इस फैसले से कर्मचारियों में भारी नाराज़गी है। सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा ने इस आदेश को अवैध और कर्मचारियों के खिलाफ बताया है। संघ के अध्यक्ष सुभाष लांबा ने कहा कि यह फैसला बिना सोचे-समझे लिया गया है और इससे बड़ी संख्या में युवा बेरोजगार हो जाएंगे।
उन्होंने कहा कि सरकार एक तरफ युवाओं को रोजगार देने की बात कर रही है, वहीं दूसरी ओर पहले से काम कर रहे हजारों संविदा कर्मचारियों को बाहर का रास्ता दिखा रही है। संघ ने मांग की है कि सरकार इस आदेश को तुरंत वापस ले, ताकि किसी भी कर्मचारी की नौकरी न जाए।
कांग्रेस ने भी उठाए सवाल
विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने भी इस आदेश पर सवाल उठाए हैं। कांग्रेस सांसद रणदीप सुरजेवाला ने सरकार से पूछा है कि जब कर्मचारी सालों से सेवा दे रहे हैं, तो उन्हें अचानक हटाने का क्या तुक है? उन्होंने कहा कि सरकार को पहले से काम कर रहे कर्मचारियों को नौकरी की सुरक्षा देनी चाहिए, न कि उन्हें हटाना चाहिए।
हरियाणा सरकार का यह फैसला नई भर्ती को प्राथमिकता देने के लिए लिया गया है। इससे पहले से काम कर रहे संविदा कर्मचारियों की नौकरी खतरे में आ गई है।
सरकार को चाहिए कि वह ऐसा कोई फैसला न ले जिससे लोगों की रोजी-रोटी पर असर पड़े। कर्मचारियों और विपक्ष की मांग है कि यह आदेश वापस लिया जाए और सभी कर्मचारियों को नौकरी की गारंटी दी जाए।
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