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एक अजीब परंपरा, जब अपनी ही बेटी के साथ सोते है उसके पिता, लड़कियों को नहीं है पसंद

दुनिया में अलग-अलग समाज और जनजातियाँ रहती हैं। हर समाज की अपनी परंपराएँ होती हैं। कुछ परंपराएँ तो इतनी अजीब होती हैं कि सुनकर यकीन करना मुश्किल हो जाता है। आज हम आपको एक ऐसी ही परंपरा के बारे में बता रहे हैं...
 
एक अजीब परंपरा, जब अपनी ही बेटी के साथ सोते है उसके पिता, लड़कियों को नहीं है पसंद
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Top Haryana: बांग्लादेश के दक्षिण-पूर्व हिस्से में ‘मधोपुर जंगल’ के पास एक जनजाति रहती है जिसे मंडी जनजाति कहा जाता है। यह एक आदिवासी समुदाय है। इस जनजाति के ज़्यादातर लोगों ने अब ईसाई धर्म अपना लिया है लेकिन कुछ पुरानी परंपराएँ अभी भी इनमें जिंदा हैं।

मंडी समाज में महिलाओं का बोलबाला होता है। यानी घर की मुखिया महिलाएँ ही होती हैं और जायदाद भी महिला पक्ष में ही चलती है।

इस समाज की एक परंपरा ऐसी है, जो बहुत ही चौंकाने वाली और दुखद है। यहां ऐसी परंपरा है जिसमें कभी-कभी पिता को ही बेटी का पति बना दिया जाता है। जी हां, यह सुनकर बेहद अजीब लगता है लेकिन बताया जाता है कि यह परंपरा इस समाज में सदियों से चली आ रही है।

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एक रिपोर्ट के अनुसार मंडी समाज में यह परंपरा इसलिए बनाई गई थी ताकि परिवार की संपत्ति बाहरी लोगों के हाथ में न जाए।

जब बेटी की शादी अपने ही पिता से कर दी जाती है तो संपत्ति घर में ही बनी रहती है। इसी सोच के चलते यह अजीब और गलत परंपरा बनाई गई थी।

न्यूज पेपर में छपी एक खबर के अनुसार, मंडी समाज की एक महिला ने बताया, “हमें अपनों के लिए कुछ चीजें करनी पड़ती हैं। हमें अपनी जायदाद बचानी होती है, इसलिए ऐसा करना जरूरी होता है।”

अब वक्त बदल रहा है। नई पीढ़ी की लड़कियाँ इस परंपरा का विरोध कर रही हैं। कई लड़कियाँ इस कुप्रथा से भाग चुकी हैं और खुले तौर पर इसका विरोध भी कर रही हैं। उनका कहना है कि यह परंपरा उनकी ज़िंदगी को बर्बाद कर रही है।

कुछ सामाजिक कार्यकर्ताओं और संगठनों ने भी इस परंपरा के खिलाफ आवाज उठाई है। वे लोगों को जागरूक कर रहे हैं और इस सोच को बदलने की कोशिश कर रहे हैं।

हालांकि यह परंपरा अब पहले जैसी मजबूत नहीं रही। लोग धीरे-धीरे इससे दूरी बना रहे हैं, फिर भी कुछ जगहों पर यह अब भी जारी है, जो चिंता की बात है।

आज के समय में जब दुनिया आगे बढ़ रही है, ऐसे में इस तरह की परंपराओं का कोई स्थान नहीं होना चाहिए। हर लड़की को अपनी जिंदगी खुद तय करने का हक है और किसी भी समाज या परिवार को यह अधिकार नहीं कि वे ज़बरदस्ती ऐसे रिश्ते बनाएं जो इंसानियत के खिलाफ हों।

उम्मीद है कि आने वाले समय में मंडी समाज पूरी तरह से इस कुप्रथा को छोड़ देगा और लड़कियों को भी बराबरी और इज्जत के साथ जीने का हक मिलेगा।

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