पानी विवाद: पंजाब-हरियाणा के बीच टकराव, केंद्र ने की आपात बैठक
भाखड़ा डैम के पानी के बंटवारे को लेकर पंजाब और हरियाणा के बीच एक बार फिर गंभीर तनाव पैदा हो गया है। इस विवाद को सुलझाने के लिए केंद्र सरकार को हस्तक्षेप करना पड़ा, जिसके परिणामस्वरूप दिल्ली में एक आपात बैठक बुलाई गई। यह बैठक भाखड़ा-ब्यास प्रबंधन बोर्ड (BBMB) द्वारा हरियाणा को अतिरिक्त पानी देने के फैसले के बाद उत्पन्न हुई विवाद की पृष्ठभूमि पर आधारित थी।
पानी नहीं छोड़े जाने पर संकट और बढ़ा
भाखड़ा डैम से हरियाणा को अतिरिक्त पानी देने के निर्देश के बावजूद, शुक्रवार को डैम से कोई पानी नहीं छोड़ा गया, जिससे स्थिति और भी गंभीर हो गई। इसके परिणामस्वरूप केंद्रीय गृह मंत्रालय ने तुरंत एक आपात बैठक का आयोजन किया, जिसकी अध्यक्षता केंद्रीय गृह सचिव गोविंद मोहन ने की। बैठक में पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और हिमाचल प्रदेश के वरिष्ठ अधिकारी शामिल हुए और इस संकट पर चर्चा की।
बैठक में शामिल अधिकारी
इस बैठक में पंजाब की ओर से मुख्य सचिव की अनुपस्थिति में अतिरिक्त मुख्य सचिव (गृह विभाग) आलोक शेखर और जल संसाधन विभाग के प्रमुख सचिव कृष्ण कुमार ने भाग लिया। हरियाणा की ओर से मुख्य सचिव अनुराग रस्तोगी, BBMB के चेयरमैन मनोज त्रिपाठी और जल शक्ति मंत्रालय के प्रतिनिधि भी बैठक में मौजूद थे। साथ ही, राजस्थान और हिमाचल प्रदेश के संबंधित अधिकारी भी इस महत्वपूर्ण बैठक का हिस्सा बने।
विवाद की उत्पत्ति
यह विवाद उस समय शुरू हुआ जब भाखड़ा डैम से हरियाणा को दी जाने वाली पानी की मात्रा घटाकर 4,000 क्यूसेक कर दी गई। BBMB की तकनीकी समिति ने 23 अप्रैल को यह निर्णय लिया कि हरियाणा, दिल्ली और राजस्थान को पानी जारी किया जाएगा, और इसके तहत हरियाणा को अतिरिक्त पानी देने का प्रस्ताव था।
लेकिन, पंजाब सरकार ने इस निर्णय पर विरोध जताया, जिसमें मुख्यमंत्री भगवंत मान ने स्पष्ट रूप से कहा कि पंजाब के पास हरियाणा या अन्य किसी राज्य को अतिरिक्त पानी देने की कोई व्यवस्था नहीं है। उनका कहना है कि पंजाब पहले ही सीमित मात्रा में पानी दे रहा है और अब इस अतिरिक्त मांग को स्वीकार नहीं किया जा सकता है।
हरियाणा का पक्ष
हरियाणा सरकार ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा कि भाखड़ा डैम में इस समय पानी का स्तर अधिक है, और अगर समय रहते अतिरिक्त पानी नहीं निकाला गया तो मानसून के दौरान ओवरफ्लो की स्थिति उत्पन्न हो सकती है। इससे न केवल पानी की बर्बादी होगी, बल्कि पाकिस्तान को भी इसका लाभ हो सकता है, जो राष्ट्रीय सुरक्षा के दृष्टिकोण से एक नुकसान होगा। हरियाणा ने यह भी स्पष्ट किया कि पानी किसी एक राज्य का नहीं, बल्कि यह एक साझा प्राकृतिक संसाधन है, जिस पर सभी का समान अधिकार है।
केंद्र सरकार इस विवाद का शीघ्र समाधान चाहती है क्योंकि इससे न केवल दोनों राज्यों के रिश्तों में तनाव बढ़ सकता है, बल्कि यह देश की जल प्रबंधन प्रणाली पर भी गहरा प्रभाव डाल सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि दोनों राज्यों को बैठकर एक समझौते पर पहुंचना चाहिए, ताकि आगामी मानसून में जल संकट और ओवरफ्लो जैसी समस्याओं से बचा जा सके।
पानी पर पंजाब और हरियाणा के बीच यह विवाद एक बार फिर बड़ा रूप ले चुका है। भाखड़ा डैम जैसे महत्वपूर्ण जल स्रोत पर यह टकराव देश के जल संसाधनों के प्रबंधन के लिए एक बड़ी चुनौती बन सकता है। केंद्र सरकार की पहल ने इस विवाद को अस्थायी रूप से शांत किया है, लेकिन इसका स्थायित्व राज्य सरकारों की सामूहिक समझदारी और सहमति पर निर्भर करेगा।
Also Read- New Elevated Road: इस राज्य में बनेगा नया एलिवेटेड रोड, जल्द खुलेगा ट्रैफिक फ्री सफर का नया रास्ता