Haryana-Punjab Water Dispute: पंजाब विधानसभा का बड़ा फैसला, हरियाणा को एक बूंद...जानें पूरी खबर
Top Haryana: पंजाब और हरियाणा के बीच पानी को लेकर लंबे समय से विवाद चल रहा है। इसी बीच पंजाब की भगवंत मान सरकार ने विधानसभा में एक अहम प्रस्ताव पारित किया है। इस प्रस्ताव में साफ कहा गया है कि पंजाब के पास कोई अतिरिक्त पानी नहीं है और वह अपने हिस्से का एक भी बूंद पानी हरियाणा को नहीं देगा।
मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कहा कि पंजाब को खुद अपने खेतों और लोगों की जरूरतों के लिए पानी की जरूरत है। उनके अनुसार पंजाब के पास अब इतना पानी नहीं है कि वह किसी और राज्य को दे सके। इसीलिए पंजाब सरकार ने तय किया है कि वह अपने हिस्से का एक भी बूंद पानी हरियाणा को नहीं देगी।
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इससे पहले जल संसाधन मंत्री बरिंदर कुमार गोयल ने विधानसभा में यह प्रस्ताव पेश किया। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार औरहरियाणा की बीजेपी सरकार मिलकर पंजाब के अधिकार छीनने की कोशिश कर रही है। गोयल ने आरोप लगाया कि भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड (बीबीएमबी) की बैठक बिना पंजाब की सहमति के बुलाई गई और उसमें पंजाब के पानी को जबरदस्ती हरियाणा को देने का निर्णय लिया गया।
प्रस्ताव में कहा गया कि हरियाणा ने 31 मार्च तक अपने हिस्से का पूरा पानी इस्तेमाल कर लिया है। अब वह पंजाब का पानी मांग रहा है, जो कि गलत है। पंजाब सरकार का कहना है कि राज्य में नहरों का जाल बिछाया गया है और अब करीब 60% खेतों को नहर का पानी मिल रहा है, जबकि 2021 में यह आंकड़ा केवल 22% था। इसलिए हर बूंद पानी पंजाब के लिए कीमती है।
प्रस्ताव में यह भी कहा गया है कि मानवीय आधार पर हरियाणा को पीने के लिए 4 हजार क्यूसेक पानी दिया जा रहा है लेकिन इससे ज्यादा पानी नहीं दिया जाएगा। मंत्री गोयल ने कहा कि हमारे गुरुओं ने हमें सिखाया है कि किसी प्यासे को पानी देना पुण्य है, इसलिए पीने के लिए पानी दिया जा रहा है।
प्रस्ताव में यह भी आरोप लगाया गया कि बीबीएमबी अब केंद्र की बीजेपी सरकार के इशारे पर काम कर रहा है और पंजाब की आवाज नहीं सुनी जा रही है। इसलिए प्रस्ताव में बीबीएमबी के पुनर्गठन की मांग भी की गई है ताकि पंजाब के हक की रक्षा हो सके। विपक्ष के नेता प्रताप सिंह बाजवा ने भी इस प्रस्ताव का समर्थन किया और कहा कि पंजाब के पास वाकई कोई अतिरिक्त पानी नहीं है, जो वह किसी और को दे सके।
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