Haryana news: हरियाणा में सरकार खरीदेगी पंचायत की जमीनें, इस काम ले लिए होगी उपयोग
Top Haryana: हरियाणा से एक अहम खबर सामने आई है। राज्य सरकार अब पंचायती जमीनें खरीदकर उनका उपयोग हरियाली बढ़ाने और पर्यावरण को बेहतर बनाने के लिए करेगी। इस बारे में राज्य के पर्यावरण, वन और वन्यजीव मंत्री राव नरबीर सिंह ने जानकारी दी है। उन्होंने हाल ही में विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ वर्ष 2025-26 के लिए पौधारोपण योजना की समीक्षा बैठक की।
पेड़ लगाने से ज़्यादा जरूरी है उनका बचाव और देखभाल
मंत्री राव नरबीर सिंह ने कहा कि सिर्फ ज्यादा पेड़ लगाना ही काफी नहीं है, बल्कि पहले से लगाए गए पेड़ों को संभालना, उनकी सिंचाई और पोषण पर ध्यान देना ज्यादा जरूरी है। उन्होंने कहा कि हमें इस बात का ख्याल रखना होगा कि पौधे अच्छी तरह बढ़ें और समय के साथ मजबूत पेड़ बनें।
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पंचायतों से खरीदी जाएगी जमीन, बनेंगे 'भूमि बैंक'
बैठक में मंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि जिन पंचायतों के पास 100 एकड़ से ज्यादा जमीन है, वहां से जमीन को कलेक्टर रेट पर खरीदा जाए। इस जमीन का इस्तेमाल 'भूमि बैंक' बनाने के लिए किया जाएगा, ताकि भविष्य में पर्यावरण और पौधारोपण से जुड़ी योजनाएं चलाई जा सकें।
हर जिले में बनेंगे ऑक्सीजन पार्क
मंत्री ने बताया कि प्रदेश के हर जिले में 5 से 100 एकड़ तक की खाली जमीन को पहचानकर उसे ऑक्सीजन पार्क में बदला जाएगा। इन पार्कों में नीम, पीपल और बरगद जैसे लंबे समय तक ऑक्सीजन देने वाले पेड़ लगाए जाएंगे। इससे लोगों को स्वच्छ हवा मिलेगी और पर्यावरण भी सुधरेगा। उन्होंने अधिकारियों से कहा कि हर जिले में एक शहरी और एक ग्रामीण ऑक्सी एरिया बनाने का प्लान तैयार करें, ताकि शहर और गांव दोनों ही जगहों पर हरियाली को बढ़ावा दिया जा सके।
पानी बचाने पर भी दिया गया जोर
राव नरबीर सिंह ने जल संरक्षण पर भी बात की। उन्होंने कहा कि शिवालिक और अरावली जैसे पहाड़ी क्षेत्रों में कम खर्चे में छोटे-छोटे बांध बनाकर पानी को रोका जा सकता है। इससे न केवल पर्यावरण को फायदा होगा बल्कि स्थानीय लोगों को भी पानी की सुविधा मिल सकेगी।
नर्सरियों की देखरेख भी जरूरी
मंत्री ने राज्य की नर्सरियों में उगाए जा रहे पौधों की सेहत और देखभाल पर विशेष ध्यान देने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि नर्सरियों में उगाए जा रहे पौधों को सही पोषण और समय पर देखभाल मिले, ताकि वे मजबूत और लंबे समय तक टिकने वाले पेड़ बन सकें।
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