Haryana news: हरियाणा सरकार का बड़ा फैसला, इस काम के लिए आसानी से मिलेगी NOC, टेंडर प्रक्रिया भी होगी पारदर्शी

Haryana news: सैनी सरकार ने इस काम के लिए एक नया कदम उठाया है, आइए जानें पूरी खबर विस्तार से...
 

Top Haryana: हरियाणा सरकार ने पेड़ काटने की प्रक्रिया को आसान बनाने के लिए बड़ा कदम उठाया है। अब अगर किसी व्यक्ति को सरकारी या निजी निर्माण कार्य के लिए पेड़ काटना है तो उसे एनओसी (अनापत्ति प्रमाणपत्र) आसानी से मिल सकेगा।

इस संबंध में हरियाणा के वन मंत्री राव नरबीर सिंह ने अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि एनओसी जारी करने में अनावश्यक देरी न की जाए।

आपत्ति हो तो एक बार में दर्ज की जाए
वन मंत्री ने कहा कि अगर किसी आवेदन पर कोई आपत्ति है तो उसे एक ही बार में दर्ज किया जाए ताकि लोगों को बार-बार चक्कर न लगाने पड़ें। यह फैसला जनता की सहूलियत और सरकारी प्रक्रिया में पारदर्शिता लाने के लिए लिया गया है।

टेंडर प्रक्रिया होगी पारदर्शी
वन विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव आनंद मोहन शरण और सभी जिलों के डीएफओ (जिला वन अधिकारी) के साथ हुई समीक्षा बैठक में मंत्री ने यह भी कहा कि टेंडर प्रक्रिया को सरल और पारदर्शी बनाया जाए।

उन्होंने चेतावनी दी कि डीएफओ टेंडरों पर एक ही अधिकार की भावना न रखें। अब किसी भी प्रकार की खरीद से पहले मंत्री स्तर से अनुमति लेना अनिवार्य कर दिया गया है।

हर साल हटेंगे काबुली कीकर के पेड़
समीक्षा बैठक में यह भी फैसला लिया गया कि हर साल सड़कों के किनारे उगे काबुली कीकर के कम से कम 10% पेड़ हटाए जाएंगे। इनकी जगह पर और अधिक उपयोगी और उपयुक्त पौधे लगाए जाएंगे ताकि पर्यावरण को बेहतर बनाया जा सके। काबुली कीकर ऐसे पेड़ होते हैं जो भूमि की उर्वरता कम करते हैं और अन्य पेड़ों के लिए बाधा बनते हैं।

सरकार नहीं खरीदेगी सफेदा के पेड़
वन मंत्री ने साफ किया कि सरकार अब सफेदा जैसे जल-गहन पेड़ों की खरीद नहीं करेगी। हालांकि अगर कोई किसान अपनी निजी जमीन पर सफेदा लगाना चाहता है तो सरकार उसे रोकेगी नहीं।

सरकारी विभाग उसकी खरीद नहीं करेगा। यह निर्णय जल संरक्षण को ध्यान में रखते हुए लिया गया है।

“एक पेड़ मां के नाम” अभियान पर जोर
राव नरबीर सिंह ने अधिकारियों से कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के “एक पेड़ मां के नाम” अभियान को पूरी गंभीरता से लागू किया जाए। यह अभियान पर्यावरण सुरक्षा और भावनात्मक जुड़ाव के उद्देश्य से चलाया गया है और वन विभाग को इसे प्राथमिकता के आधार पर लागू करना चाहिए।