हरियाणा के इस क्षेत्र के गोदामों में 97.50 करोड़ का गेहूं सड़ गया, कुमारी शैलजा ने सरकार पर साधा निशाना
Top Haryana: खबर हरियाणा से आ रही है जहां सिरसा से वर्तमान सांसद कुमारी सैलज के तीखे बयान मोजूद सरकार के कानों में चुभ रहे है। दरअसल करनाल के सरकारी गोदामों में रखा 97.50 करोड़ रुपए का गेहूं प्रशासनिक लापरवाही के चलते खराब हो गया है। कुमारी ने इस लापरवाही को गरीबों की थाली से निवाला छीनने से तुलना की है। साथ ही राज्य के सभी गोदामों में पड़े अनाज की जांच करने का बोल है। साथ ही राज्य सरकार से इस मामले को गंभीरता से जांच करने का बोल है ताकी गरीबों के अनाज को खराब करने वाले अधिकारी एवं कारांचारी पर कारवाई हो। साथ ही उन्होंने बोल है की एन का अपमान देश के अन्नदाता का अपमान है।
गोदाम में रखा गेहूं रखरखाव की अनदेखी से सड़ा – कुमारी शैलजा का सरकार पर आरोप
सांसद शैलजा ने मीडिया को से बातचीत करते हुए कहा कि मंडियों से गेहूं को खरीदने के बाद इसे अलग अलग सरकारी एजेंसियों के गोदामों में रखा जाता है, और इन एजेंसियों को इसके संरक्षण के लिए भुगतान भी किया जाता है। उन्होंने बताया कि जब सरकार 2400 रुपये प्रति क्विंटल की दर से गेहूं खरीदती है, तो गोदाम में भंडारण, रखरखाव व अन्य खर्चों को जोड़ने के बाद उसकी लागत लगभग 3900 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंच जाती है।
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उन्होंने यह भी बताया कि मई 2024 में करनाल में खरीदा गया गेहूं हैफेड के पांच गोदामों में संग्रहित किया गया था। कुमारी शैलजा का कहना है कि गोदामों में गेहूं तो पहुंचा दिया जाता है, लेकिन उसके रखरखाव में गंभीर लापरवाही बरती जाती है। कहीं-कहीं तो कट्टों से गेहूं निकाल लिया जाता है, और वजन बनाए रखने के लिए उन पर पानी का छिड़काव किया जाता है। अत्यधिक नमी के कारण गेहूं में सड़न आ जाती है, जिससे अनाज बेकार हो जाता है।
करनाल के गोदामों में 80 फीसदी गेहूं हुआ खराब, सैलजा ने की statewise जांच की मांग
सांसद कुमारी शैलजा ने करनाल जिले के गोदामों में रखे गए गेहूं की हालत पर गहरी चिंता जताते हुए बड़ा खुलासा किया है। उन्होंने बताया कि नेवला, असंध और नीलोखेड़ी स्थित गोदामों में संग्रहित गेहूं में कीड़े (सुरसरी) लगने के कारण उसका लगभग 80 प्रतिशत हिस्सा पूरी तरह से नष्ट हो चुका है। जांच रिपोर्ट के मुताबिक इस खराब हुए गेहूं की अनुमानित कीमत करीब 97.50 करोड़ रुपये है।
सैलजा ने सवाल उठाया कि जब केवल करनाल में ही इतनी बड़ी मात्रा में अनाज बर्बाद हो चुका है, तो राज्य के अन्य जिलों की स्थिति क्या होगी, यह सोच कर ही चिंता होती है। उन्होंने आशंका जताई कि यदि पूरे प्रदेश में ऐसी ही अनदेखी हुई है, तो नुकसान की राशि कई अरबों तक पहुंच सकती है।
उन्होंने सरकार से मांग की कि इस मामले को गंभीरता से लेते हुए दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए। इसके साथ ही उन्होंने सुझाव दिया कि एक विशेष जांच टीम का गठन कर अन्य जिलों में भी गोदामों में रखे गेहूं की स्थिति की व्यापक जांच कराई जाए।
सरकार को समय रहते करनी चाहिए थी तैयारी
सिरसा से सांसद कुमारी शैलजा ने प्रदेश में गेहूं खरीद व्यवस्था पर गंभीर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि हर साल 1 अप्रैल से गेहूं की खरीद प्रक्रिया शुरू होती है, ऐसे में सरकार को पहले से ही पूरी तैयारी कर लेनी चाहिए थी। लेकिन स्थिति यह है कि सरकार हमेशा समस्या सामने आने के बाद ही हरकत में आती है।
उन्होंने कहा कि वर्तमान में हर जिले की मंडियों में गेहूं की भारी आवक हो रही है, लेकिन 70 से 80 प्रतिशत तक गेहूं का उठान अब तक नहीं हो पाया है। नतीजतन, मंडियों में अनाज की बोरियां और ढेरियां जमा होती जा रही हैं, जिससे मंडियों के आसपास के रास्ते तक जाम हो रहे हैं। खरीद केंद्रों और मंडियों में अव्यवस्था का माहौल है, जबकि सरकार के तमाम दावे सिर्फ कागजों तक सीमित नजर आ रहे हैं।
कुमारी सैलजा ने जोर देते हुए कहा कि सरकार को तत्काल प्रभाव से गेहूं के उठान और उसके रखरखाव की व्यवस्था सुधारनी चाहिए। उन्होंने कहा कि जब अनाज सड़ता है तो केवल खाद्य की बर्बादी नहीं होती, बल्कि यह अन्नदाता – यानी किसानों के सम्मान का भी अपमान होता है।