हरियाणा में गेहूं काटने खेतों में उतरी गजब की मशीन, 20 मिनट में एक एकड़ की कटाई, खर्च भी कम

Haryana Wheat Harvesting: हरियाणा के फरीदाबाद जिले में इन दिनों गेहूं की कटाई जोरों पर चल रही है। इस बार खेतों में मजदूरों की जगह बड़ी-बड़ी मशीनें काम करती नजर आ रही हैं। अब किसान मजदूरों पर निर्भर नहीं हैं, क्योंकि अब फसल की कटाई के लिए नई तकनीक और मशीनों का इस्तेमाल किया जा रहा है।
 

Top Haryana: फरीदाबाद के अटाली गांव के किसान ने बताया कि उन्होंने इस बार चार एकड़ में गेहूं की फसल बोई थी। पहले जब मजदूरों से कटाई करवाई जाती थी, तो एक एकड़ की फसल काटने में कई दिन लग जाते थे और खर्च भी ज्यादा आता था। अब कटाई के लिए ‘कंबाइन हार्वेस्टर’ नाम की मशीन का इस्तेमाल हो रहा है, जिससे एक एकड़ फसल सिर्फ 20 मिनट में कट जाती है।

यह मशीन बहुत काम की है। इसमें फसल काटने के साथ-साथ दाने अलग करने और भूसा ट्रैक्टर में भरने की सुविधा भी है। मशीन खेत में आगे बढ़ती है, और सामने लगे कटर से फसल काटती जाती है।

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अंदर दाने अलग हो जाते हैं और सीधे ट्रॉली में भर जाते हैं। वहीं भूसा नीचे गिरता है, जिसे ट्रैक्टर में भर लिया जाता है। इस पूरी प्रक्रिया में किसान को कुछ करने की जरूरत नहीं होती। मशीन खुद ही सारा काम कर देती है।

किसान भाई बताते हैं कि यह कंबाइन हार्वेस्टर मशीन डीजल तेल के जरिए चलती है और एक एकड़ फसल की कटाई का खर्च करीब 1 हजार 500 रुपये आता है। मजदूरों से कणक की कटाई कराई जाए तो यह खर्च और भी ज्यादा बढ़ जाता है।

कटाई में समय और मेहनत दोनों ज्यादा लगते। मशीन से कटाई करने से फसल को भी कोई नुकसान नहीं होता और दाना साफ-सुथरा तैयार होता है, जिससे मंडी में अच्छा दाम मिल जाता है।

इस बार मंडी में गेहूं का भाव करीब 2 हजार 425 रुपये प्रति क्विंटल चल रहा है। किसानों ने अपनी फसल बल्लभगढ़ और मोहना की मंडियों में बेची। किसानों ने बताया कि फसल बेचने से पहले किसान को मंडी पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन करवाना होता है। इसके बाद जब फसल मंडी में पहुंचती है, तो तौल होने के बाद जल्दी ही पेमेंट भी मिल जाती है।

हरियाणा में अब खेती आधुनिक हो रही है। नई मशीनों के इस्तेमाल से न केवल समय की बचत हो रही है, बल्कि किसानों को फसल तैयार करने से लेकर बेचने तक की प्रक्रिया में काफी सुविधा हो रही है।

मजदूरों की कमी का अब कोई असर नहीं पड़ता, क्योंकि मशीनें तेज और सटीक काम कर रही हैं। इससे किसान का समय, पैसा और मेहनत तीनों की बचत हो रही है।

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