अगर आपका बच्चा दिनभर मोबाइल में खोया रहता है, तो ये सच जान आप भी हो जाएंगे हैरान

If your child is lost in mobile all day, then you will be surprised to know this truth

अगर आपका बच्चा भी हर वक्त फोन मांगता है, तो अब सतर्क हो जाने का समय है

आजकल छोटे बच्चों को मोबाइल पकड़ाना आम बात हो गई है, लेकिन ये आदत बेहद खतरनाक साबित हो सकती है. रिसर्च में सामने आया है कि 2 से 5 साल के बच्चों में मोबाइल की लत बढ़ रही है, जिससे वे चिड़चिड़े और गुस्सैल हो रहे हैं.

मोबाइल फोन बच्चों की मानसिक सेहत के लिए बेहद नुकसानदायक हो सकती है.

आजकल माता-पिता बच्चों को डिजिटल युग के हिसाब से ढालने के लिए उन्हें जल्दी ही मोबाइल दे देते हैं. बच्चा जब फोन चलाने लगता है, तो मां-बाप को लगता है कि वह तेज दिमाग वाला बन रहा है

बच्चे बिना फोन के खाना भी नहीं खाते

भागलपुर के जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज अस्पताल में हुई क्रॉस स्टडी में चौंकाने वाली बातें सामने आई हैं. 2 से 5 साल के बच्चों को मोबाइल की ऐसी लत लग रही है कि उन्हें मां की जरूरत भी महसूस नहीं होती.

बच्चों के स्वभाव पर भी गहरा असर डाल रही है मोबाइल की लत

लगातार कार्टून और गेम्स देखने से उनका स्वभाव आक्रामक हो रहा है. छोटी-छोटी बातों पर गुस्सा आना, चीजें पटकना और माता-पिता की बात न मानना इसके कुछ प्रमुख लक्षण हैं.

बच्चों की एकाग्रता खत्म होती जा रही है फोन की वजह से

किसी भी चीज पर ज्यादा देर ध्यान नहीं लगा पाते, जिससे उनकी पढ़ाई और सीखने की क्षमता प्रभावित होती है. इसके चलते कई बच्चों में ध्यान भटकने (Attention Deficit) की समस्या भी बढ़ती जा रही है.

फोन की लत उन्हें इन सभी गतिविधियों से दूर कर रही है.

विशेषज्ञों का कहना है कि बच्चे का असली मानसिक विकास तब होता है जब वह शारीरिक गतिविधियों में शामिल होता है. दौड़ना, खेलना और सामाजिक बातचीत उनके दिमाग को सही तरीके से विकसित करती है

मोबाइल नहीं देना चाहिए 5 साल से कम उम्र के बच्चों को

बच्चों के लिए स्क्रीन टाइम निर्धारित करना बेहद जरूरी है 5 साल से ऊपर के बच्चों के लिए अधिकतम 2 घंटे का स्क्रीन टाइम ही सही माना जाता है. इस दौरान भी सिर्फ शैक्षिक कंटेंट देखने की अनुमति होनी चाहिए.