Artificial Intelligence: AI के डेटा सेंटर में जितनी बिजली खर्च होती है, उतनी बिजली में एक सिटी रोशनी से भर जाएगी
Artificial Intelligence: आज पूरी दुनिया में AI का महत्व काफी अधिक हो चूका है, AI का डेटा स्टोर करने के लिए बहुत बड़े AI सेंटर होते है। जिसमे बहुत सारा पैसा और बिजली लगती है जितनी बिजली उस एक AI सेंटर में लगती उतनी बिजली से एक सिटी को रोशन किया जा सकता है।

TOP HARYANA: आज के समय हर कोई इंसान आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का इस्तेमाल कर रहा है साथ में क्लाउड कंप्यूटिंग का भी उपयोग हो रह है। जो बहुत अधिक बिजली की खपत करते है, ChatGPT और Google Gemini का उपयोग आज सभी लोग करते है। इन सभी के डेटा को स्टोर करने के लिए AI डेटा सेंटर बनाए जाते है।
इन सेंटर पर बहुत अत्यधिक बिजली की खपत होती है, इतनी बिजली कि एक पूरे शहर की बिजली की जरूरत को पूरा कर सकती है। AI डेटा सेंटर सॉफ्टवेयर और एप्लिकेशन को रन करने के लिए एक सर्वर होता है, जो सभी का डेटा स्टोर और अपडेट करता है। AI को बहुत सारे लोग उपयोग करते है जिसके कारण बहुत सारा डेटा स्टोर करना पड़ता है।
बिजली की खपत
बीते कुछ सालों में डेटा सेंटर बहुत तेजी से बढ़ रहे है, अब इन सेंटर्स को बनाने के लिए बहुत अधिक स्पेस लगता है। अब AI की एडवांस टेक्नोलॉजी को देखते हुए इसके सेंटर को बहुत अधिक बिजली की जरूरत है। डेटा सेंटर में लगभग 1 अरब वाट से अधिक बिजली लगती है जो 2 सिटी की बिजली की जरूरत को पूरा कर सकती है।
एक शहर में बिजली की लागत
AI डेटा कसेंटर इतने बड़े होंगे की वह एक लार्ज शहर की बिजली जितनी खपत करेगे। एक डेटा सेंटर में 1 गीगावाट बिजली लगती है जो सालाना 7 लाख घरों में इस्तेमाल होने वाली बिजली के बराबर है। जिस तरह AI को बिजली की जरूरत है उसी तरह दूसरी कंपनी के प्रोजेक्ट्स को भी होती है।
बिजली और जमीन
डेटा सेंटर बनाने के लिए बहुत सारी बिजली और जमीन की जरूरत पड़ती है जो एक बड़ी चुनौती बनी हुई है। बिग साइज डेटा सेंटर्स की बिजली की खपत बहुत अधिक है और इनको यह बिजली 24 घंटे हमेशा जरूरत होती है। इसके लिए कंपनी को कोई समाधान करना होगा जिससे वह बिजली की जरूरत को पूरा कर सके।