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Adbhut Ramayan Story: सीता माता का युद्ध हुआ रावण के भाई के साथ, जानिए अद्भुत कहानी 

Adbhut Ramayan Story: रावण के बारे में तो लगभग सभी जानते हैं लेकिन आज हम आपको अद्भुत रामायण में वर्णित एक ऐसी कथा के बारे में बताने जा रहे हैं जिसमें यह वर्णन किया गया है कि रावण के भाई का वध सीता जी द्वारा किया गया था...
 
सीता माता का युद्ध हुआ रावण के भाई के साथ
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Top haryana: विद्वानों द्वारा अलग-अलग भाषाओं में रामायण लिखी गई है, जिसकी कथाओं में काफी विभिन्नता देखने को मिलती है, लेकिन सबसे अधिक प्रसिद्धि महर्षि वाल्मीकि द्वारा संस्कृत में लिखी गई रामायण (Ramayan Katha) और तुलसीदास जी द्वारा अवधि में लिखी गई राम चरित मानस को मिली है। आज हम आपको अद्भुत रामायण की एक अद्भुत कथा बताने जा रहे हैं, जिसके अनुसार एक युद्ध में यहां राम जी की पूरी सेना नहीं टिक सकी वहां अकेले सीता जी ने युद्ध जीता। 

अद्भुत है यह कथा

अद्भुत रामायण में वर्णित कथा के अनुसार, रावण के भाई का नाम सहस्त्रानन था। सहस्त्रानन की भी गिनती शक्तिशाली राक्षसों में की जाती थी। साथ ही वह शिव जी के प्रति अपनी अनंत भक्ति और अपनी तपस्या व अद्वितीय शक्तियों के लिए प्रसिद्ध था। जहां रावण के 10 सिर थे, वहीं सहस्त्रानन के एक हजार सिर थे। उसे ब्रह्मा जी से ये वरदान प्राप्त था कि उसे एक स्त्री अलावा और कोई भी नहीं मार सकता था।

सीता जी ने कही ये बात

जब युद्ध में रावण मारा गया, तो भगवान राम अपना वनवास समाप्त कर वापस अयोध्या लौट गए। भगवान राम के राज्याभिषेक के बाद जब सभी मुनिजन भगवान राम के शौर्य की गाथा गा रहे थे, तब माता सीता ने कहा कि भगवान राम की पूर्ण विजय तब होगी जब वह रावण के भाई सहस्त्रानन का वध करेंगे, जो रावण से कही अधिक शक्तिशाली है।

माता सीता को आया क्रोध

भगवान राम ने सहस्त्रानन से युद्ध करने के लिए विभीषण, लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न और हनुमान के साथ सेना बनाई, लेकिन सहस्त्रानन ने अपनी शक्तियों के प्रयोग से भगवान राम की पूरी सेना को तहस-नहस कर दिया। साथ ही राम जी को भी अचेत कर दिया था। यह देखकर मां सीता को क्रोध आया और उन्होंने 'असिता' यानी मां काली का रूप धारण कर हाथ में खड्ग और खप्पर से सहस्त्रानन के हजार सिरों को काट दिया। इस प्रकार सहस्त्रानन की मृत्यु माता सीता के हाथों हुई।

अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। हरियाणा न्यूज यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न  माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। हरियाणा न्यूज मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।