Surti Nasal Buffalo: इस नस्ल की भैंस आपको बना देगी मालामाल दूध देती है भर भर बाल्टी, जानें इसकी नस्ल के बारे में

Top Haryana: डेयरी उत्पादन में गाय और भैंस को सबसे ज्यादा पाला जाता है। सुरती नस्ल की भैंस भारत की सबसे लोकप्रिय भैंसों में से एक है, जिसे मुख्यत दूध उत्पादन के लिए पाला जाता है। यह नस्ल अपनी उच्च गुणवत्ता वाले दूध और अनुकूलनशीलता के लिए जानी जाती है।
सुरती नस्ल की भैंस भारत की प्रमुख भैंस नस्लों में से एक है, जो खासतौर पर दूध उत्पादन के लिए जानी जाती है। यह मुख्य रूप से गुजरात के सूरत जिले में पाई जाती है, और इसके नाम का स्रोत भी यहीं से जुड़ा हुआ है। सुरती भैंसें विशेष रूप से उच्च गुणवत्ता वाले दूध का उत्पादन करती हैं, जो वसा और प्रोटीन से भरपूर होता है, जिससे यह डेयरी उद्योग में काफी महत्व रखती है।
सुरती नस्ल की भैंस की विशेषताएं
1. उत्पत्ति
सुरती नस्ल की भैंस मुख्य रूप से गुजरात के सुरत जिले और उसके आसपास के क्षेत्रों में पाई जाती है।
2. शारीरिक विशेषताएं
इनका शरीर मध्यम आकार का होता है।
रंग आमतौर पर काला या हल्का भूरा होता है।
आंखों के चारों ओर सफेद छल्ले और शरीर पर हल्के सफेद धब्बे होते हैं।
सिर छोटा और सींग हल्के घुमावदार होते हैं।
3. दूध उत्पादन
सुरती भैंस औसतन 1600-1800 लीटर दूध प्रति लेक्टेशन देती है।
इनके दूध में वसा की मात्रा लगभग 7-8% होती है, जो इसे पोषण के दृष्टिकोण से बहुत फायदेमंद बनाती है।
4. अनुकूलता
यह नस्ल विभिन्न प्रकार की जलवायु परिस्थितियों में आसानी से अनुकूल हो जाती है।
इन्हें कम रखरखाव और भोजन में सहनशील माना जाता है।
5. प्रजनन क्षमता
सुरती भैंस का पहला ब्यांत 3 से 4 साल की उम्र में होता है।
यह हर 12-14 महीने में ब्यांत देती है।
6. उपयोगिता
उच्च दूध उत्पादन के कारण यह डेयरी किसानों के लिए लाभकारी होती है।
इनके दूध से घी, मक्खन और अन्य डेयरी उत्पाद तैयार किए जाते हैं।
किसानों के लिए फायदे
आर्थिक लाभ: अधिक दूध और वसा सामग्री के कारण यह किसानों को अधिक आय देती है।
रखरखाव में कम लागत: यह कम देखभाल और सस्ते चारे में भी अच्छा उत्पादन देती है।
जलवायु सहनशीलता: यह गर्म और आर्द्र जलवायु में भी अच्छा प्रदर्शन करती है।
सुरती नस्ल के संरक्षण और प्रोत्साहन
भारतीय डेयरी उद्योग में इसकी उपयोगिता को देखते हुए इस नस्ल के संरक्षण और सुधार के प्रयास लगातार जारी हैं। पशुपालकों को सही जानकारी और तकनीकों से प्रशिक्षित किया जा रहा है ताकि वे अधिक उत्पादन कर सकें।
सुरती नस्ल की भैंस अपने उच्च दूध उत्पादन, वसा सामग्री और कम रखरखाव की जरूरतों के कारण डेयरी उद्योग में बेहद महत्वपूर्ण स्थान रखती है। यह नस्ल डेयरी किसानों की आय बढ़ाने और पोषण प्रदान करने में बड़ी भूमिका निभा रही है।
सुरती भैंस की पहचान और विशेषताएं
सुरती भैंस को अपनी उच्च दूध उत्पादन क्षमता और अनुकूलनशीलता के लिए जाना जाता है। यह गुजरात के खेड़ा और बड़ौदा जिलों की मूल निवासी है और इसे अलग-अलग स्थानों पर अलग-अलग नामों से जाना जाता है, जैसे चरोटारी, दक्कनी, गुजराती, नडियाडी और तालाबारा।
सुरती भैंस की पहचान
1. शारीरिक संरचना
मध्यम आकार का शरीर, जो मांसल और सशक्त दिखता है।
सुरती भैंस के शरीर का रंग काला व गहरे भूरे रंग का होता है।
आंखों के चारों ओर सफेद छल्ले होते हैं।
सिर छोटा और हल्के आकार का।
सींग छोटे और हल्के पीछे की ओर घुमावदार होते हैं।
2. अन्य शारीरिक विशेषताएं
गर्दन पर त्वचा मुलायम और लोचदार होती है।
पैरों का आकार मजबूत और सीधा।
थन आकार में बड़े और दूध देने में आसान।
1. दूध उत्पादन
औसतन एक लेक्टेशन में 1600 से 1800 लीटर दूध का उत्पादन।
दूध में वसा की मात्रा 7-8% होती है, जो इसे अन्य नस्लों की तुलना में अधिक पौष्टिक बनाती है।
2. अनुकूलता
यह गर्म और आर्द्र जलवायु में भी अच्छा प्रदर्शन करती है।
कम चारे और पानी में भी बेहतर उत्पादन देती है।
3. प्रजनन
पहली बार ब्यांत 3 से 4 साल की उम्र में होता है।
हर 12 से 14 महीने में ब्यांत देती है।
4. आयु और जीवनकाल
सुरती भैंस की औसत आयु 12-15 साल होती है।
जीवनकाल में यह 8-10 बार ब्यांत देती है।
शरीर का आकार बैरल जैसा है।
पूंछ की लंबाई 85 से 90 सेमी तक होती है।
पहला चरण 35 से 45 महीने का होता है।
सुरती भैंस प्रतिदिन लगभग 10 से 18 लीटर दूध देती है।
बाजार में सुरती भैंस की कीमत 40,000 से 50,000 रुपये के बीच होती है, जो इसकी उम्र और दूध उत्पादन क्षमता पर निर्भर करती ह। यह नस्ल मुख्य रूप से गुजरात के खेड़ा, बड़ौदा, नडियाद और अन्य आसपास के इलाकों में पाई जाती है।