top haryana

Holi 2025: देश के इस गांव में नहीं खेली जाती होली, सभी एक दूसरे का बांटते है दुख-दर्द

Holi 2025: होली से ठीक एक दिन पहले होलिका दहन किया जाता है और अगले दिन रंग वाली होली धूमधाम से मनाई जाती है, मध्‍य प्रदेश राज्‍य में एक ऐसा गांव भी है जहां पर होली नहीं खेली जाती है। 

 
Holi 2025: देश के इस गांव में नहीं खेली जाती होली, सभी एक दूसरे का बांटते है दुख-दर्द
WhatsApp Group Join Now

Top Haryana-Madhya Pradesh Desk: होली का नाम सुनते ही रंग और तरह-तरह के पकवान का ख्याल दिमाग में आता है, इन द‍िनों होली की तैयारियां जोरों से चल रही है। बाजार भी सज रहे है, हर तरफ रंग-गुलाल, पिचकारी और होली पर पहने जाने वाले परिधान ही नजर आ रहे है, इस साल 14 फरवरी को होली मनाई जाएगी।

होली का त्योहार खुशियों का प्रतीक माना जाता है, भारत में एक ऐसी जगह भी है जहां पर होली नहीं खेली जाती है, हम बात कर रहे है  मध्य प्रदेश के खरगोन जिले में स्थित चोली गांव की, यहां पर होली बाकी जगहों से बिल्कुल अलग तरह से होती है।

सदियों से यह परंपरा

होली पर रंग न खेलने की परंपरा इस गांव में है, ये परंपरा सदियों से चली आ रही एक खास रीति-रिवाज से जुड़ी है, जिसके चलते यहां होली का उत्सव नहीं मनाया जाता है, गौरतलब है क‍ि चोली गांव को देवगढ़ के नाम से भी जाना जाता है, जो विंध्याचल पर्वत की तलहटी में बसा है।

ऐतिहासिक धरोहरों के लिए मशहूर  

यह क्षेत्र अपने प्राचीन सिद्ध मंदिरों और ऐतिहासिक धरोहरों के लिए मशहूर है, गांव के बुजुर्गों ने होली पर रंग न खेलने की परंपरा शुरू की थी, यहां होली पर कोई भी व्यक्ति रंगों में नहीं डूबता, पूरे गांव में शांति बनी रहती है, लोग किसी तरह के उत्सव में शामिल नहीं होते हैं।

अगले दिन होली

अगले दिन पूरे उल्लास के साथ होली खेली जाती है और लोग एक दूसरे को जमकर रंग लगाते है, चोली गांव के ग्रामीणों के मुताबिक  होली केवल खुशियां मनाने का पर्व नहीं है, बल्कि यह उन लोगों के साथ खड़े होने का अवसर भी है जिन्होंने अपने परिवार में किसी प्रियजन को खो दिया है।

यहीं मुख्य कारण है क‍ि होली के दिन गांव के लोग पहले उन परिवारों के घर जाते हैं, जहां किसी की मृत्यु हो गई हो, उन्हें गुलाल लगाकर सांत्वना देते है और उनके दुख में सहभागी बनते है, यह परंपरा समाज में आपसी भाईचारे और सहानुभूति को मजबूत करती है।

इस परंपरा के माध्यम से ग्रामीण यह सुनिश्चित करते हैं कि कोई भी परिवार त्योहार की खुशी से वंचित न रह पाए, उनके जीवन में फिर से सकारात्मकता लौट सके, जब ये परिवार सांत्वना पाकर अपने दुख से उबर जाते है तो अगले दिन पूरे गांव में धूमधाम से होली खेली जाती है।

होली का इत‍िहास

खुशियों के इस त्योहार का संबंध भगवान श्री कृष्ण और भगवान विष्णु के भक्त प्रह्लाद से जुड़ा हुआ है, होली पर्व के दिन देशभर में गुलाल और रंगों की होली खेली जाती है और रंगोत्सव को हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है, रंगों के इस पवित्र त्योहार को वसंत ऋतु का संदेशवाहक भी माना जाता है।