Success Story : चाय लेने गया, SDM बनकर लौटा, जाने सफलता की रौचक कहानी...
Success Story : देश में लगातार बढ़ रही रही बेरोजगारी के कारण प्रतियोगी परीक्षाओं में लाखों की संख्या में भीड़ होती है, इसी भीड़ में से कुछ लोग ऐसे होतें है जिनकी कामयाबी का कहानी अमर हो जाती है। आज एक ऐसी ही कहानी हम आपको बताने जा रहे है, जिसकों जानने के लिए आप खुद को रोक नहीं सकतें जानें इसके बारें में...

TOP HARYANA: देश में बेराजगारी की मार को देखकर यह लगता है कि सरकारी नौकरी को किसी मैडल से कम नहीं कहा जा सकता है। सरकारी नौकरी हासिल करना हर पढ़े लिखे युवा का एक सपना होता है, लेकिन अब बेरोजगारी इतनी अधिक बढ़ गई है कि चतुर्थ श्रेणी की भर्ती के लिए भी पीएचडी धावक कतार में रहते है।ऐसें में सरकारी नौकरी पदक जीतने के बराबर हो गयी है।
बेरोजगारी और जनसंख्या के लगातार बढ़ते प्रभाव को आप साफ तौर पर देख सकतें है। प्रतियोगी परीक्षाओं में लाखों की भीड़ में से कुछ ही पदों को भरा जाता है। एक हजार पदों पर निकली भर्ती के लिए 20 लाख से अधिक आवेदन आते हैं। रेलवे जैसे बडे़ विभागों की भर्ती में यह संख्या 2 करोड़ के आस-पास पहुँच जाती है। आज इस खबर के माध्यम से हम आपको ऐसे ही इंसान के बारें में बताते हैं, जिसनें अपनी मंजिल को पाने के लिए हार नहीं मानी और लगातार प्रयास करता गया और जो कुछ भी मिला उसे स्वीकारता गया।
ये शख्स हैं बलिया के एक छोटे से गांव निवासी 33 साल के श्यामबाबू। जिनके घर की आर्थिक स्थिति बेहद ही कमजोर रही। श्यामबाबू ने दसवीं कक्षा को पास करने के बाद ही सरकारी नौकरी की तलाश शुरु कर दी थी। आखिर में मेहनत रंग ले आई और यूपी पुलिस में हेड कांस्टेबल के पद पर भर्ती हो गए। हालांकि सिपाही बनने के बाद भी उन्होंने अपने लक्ष्य को हासिल करने की मन में ठान रखी थी।
2010 में पीसीएस परीक्षा देने का सपना देखा और इसके लिए तैयारी शुरु कर दी। 2016 में हुई पीसीएस की परीक्षा में 52वीं रैंक हासिल की और SDM बन गए। एक दिन श्यामबाबू को जब डिप्टी एसपी ने चाय लाने के लिए भेजा तो इसी समय शयाम बाबू के फोन पर एक सन्देश आया, कि वो पीसीएस परीक्षा पास कर चुके थे। श्यामबाबू ने चाय के साथ ये खबर जब DSP को सुनाई और कहा कि सर मैंं एसडीएम बन गया हूँ। तो DSP कुर्सी से उठे और श्यामबाबू को सेल्यूट किया,इसके बाद मेज पर रखी चाय भी श्यामबाबू को पिलाई।