Success Story: गरीब परिवार की लड़की बनी आईएएस अधिकारी, जानें इसकी प्रेरणादायक कहानी

TOP HARYANA: यूपीएससी (संघ लोक सेवा आयोग) की परीक्षा को देश की सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक माना जाता है। इस परीक्षा को पास करने के लिए कड़ी मेहनत और समर्पण की आवश्यकता होती है। आज हम एक ऐसी उम्मीदवार की कहानी बताएंगे, जिन्होंने अपनी कड़ी मेहनत और संघर्ष से इस परीक्षा में सफलता प्राप्त की। यह कहानी है अंकिता चौधरी की, जो हरियाणा के एक छोटे से कस्बे से आईं और आईएएस अफसर बनीं।
पहले प्रयास में असफलता
अंकिता ने 2017 में पहली बार यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा दी थी, लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली। यह उनके लिए एक बड़ा झटका था। उस समय उनके पास दो रास्ते थे: पहला, वह इस परीक्षा को छोड़ सकती थीं और दूसरा, वह अपनी असफलता से सीखकर फिर से प्रयास कर सकती थीं। अंकिता ने दूसरा रास्ता चुना और अपनी गलतियों को सुधारते हुए पुनः यूपीएससी की तैयारी शुरू की।
मध्यवर्गीय परिवार से ताल्लुक
अंकिता का जन्म हरियाणा के रोहतक जिले के एक छोटे से कस्बे में हुआ था। उनका परिवार आर्थिक रूप से मध्यम वर्गीय था। उनके पिता एक चीनी मिल में अकाउंटेंट के तौर पर काम करते थे। अंकिता बचपन से ही पढ़ाई में बहुत अव्वल थीं और उनका सपना था कि वह जीवन में कुछ बड़ा करें और समाज में अपना नाम रोशन करें।
दिल्ली विश्वविद्यालय से शिक्षा और यूपीएससी की तैयारी
अंकिता ने दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रतिष्ठित हिंदू कॉलेज से केमिस्ट्री में ग्रेजुएशन किया। इसके बाद, उन्होंने यूपीएससी की तैयारी करने का फैसला किया और पोस्ट-ग्रेजुएशन के दौरान इस दिशा में कदम बढ़ाया। आईआईटी दिल्ली से मास्टर डिग्री प्राप्त करने के बाद, अंकिता ने यूपीएससी की परीक्षा की तैयारी शुरू की।
माँ की मौत के बाद का संघर्ष
अंकिता की यूपीएससी की तैयारी के दौरान एक दुखद घटना घटी। उनकी माँ एक कार दुर्घटना में चल बसीं। इस हादसे ने अंकिता को गहरे आघात पहुँचाया, लेकिन उन्होंने अपनी मां को श्रद्धांजलि देने और उनके सपनों को पूरा करने का संकल्प लिया। अंकिता की मां के जाने के बाद, उनके पिता ने भी उनका भरपूर समर्थन किया और उन्हें मानसिक रूप से मजबूत बनाए रखा। इस कठिन समय में अंकिता ने अपने दर्द को ताकत में बदलते हुए अपनी तैयारी जारी रखी।
दूसरे प्रयास में मिली सफलता
अंकिता ने 2018 में फिर से यूपीएससी की परीक्षा दी। इस बार उनकी मेहनत रंग लाई और उन्होंने ऑल इंडिया 14वीं रैंक हासिल की। इस सफलता ने न केवल उनके सपनों को पूरा किया, बल्कि उनके परिवार के लिए भी गर्व का कारण बना। अंकिता ने अपनी सफलता का श्रेय अपने पिता की मेहनत और अपनी कठिनाईयों के बावजूद संघर्ष को दिया। अंकिता की यह सफलता यह साबित करती है कि अगर मेहनत और समर्पण से काम किया जाए, तो कोई भी लक्ष्य मुश्किल नहीं होता। उनकी कहानी उन सभी छात्रों के लिए प्रेरणा है, जो किसी भी कारणवश संघर्ष कर रहे हैं और अपने सपनों को साकार करने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं।