First Life In Earth: धरती पर लाइफ की शुरुआत कैसे हुई, कौन था पहला जीव, जानें इसके बारें में

TOP HARYANA: धरती की उम्र करीब 450 करोड़ साल के आसपास मानी जाती है। यह एक बहुत लंबा समय है, और सोचने पर यह बात हमारे मस्तिष्क के लिए समझना कठिन हो सकती है। इतना लंबा समय और फिर भी जीवन की शुरुआत हुई सिर्फ 400 करोड़ साल पहले। लेकिन इस जीवन की शुरुआत कैसे हुई, इस बारे में कई अलग-अलग विचार हैं। कुछ वैज्ञानिक मानते हैं कि जीवन का आरंभ धरती की सतह पर हुआ, जबकि कुछ के अनुसार समुद्र के अंदर जीवन की शुरुआत हुई थी।
धरती के बनने के बाद उसकी सतह पर काफी उथल-पुथल मची हुई थी। इसके कारण वातावरण में गैसों का मिश्रण और तेज गर्मी फैली हुई थी। इन परिस्थितियों में जीवन का उत्पन्न होना लगभग असंभव था। लेकिन जैसे-जैसे पृथ्वी का तापमान कम हुआ और वातावरण स्थिर हुआ, तब जीवन की शुरुआत के लिए उपयुक्त परिस्थितियां बननी शुरू हुईं। यह माना जाता है कि पृथ्वी पर जीवन का उत्पन्न होना काफी आसान था, लेकिन उसके बाद जो घटनाएं हुईं, वे कहानी को थोड़ा पेचीदा बना देती हैं।
धरती पर पहले जीव प्रोकैरेयोट्स
धरती पर पहले जीव जो आए, उन्हें वैज्ञानिक प्रोकैरेयोट्स (Prokaryotes) कहते हैं। ये ऐसे जीव होते थे, जिनमें कोई केंद्रक (Nucleus) नहीं होता था। हमारे शरीर की कोशिकाओं की तरह ये कोशिकाएं बहुत जटिल नहीं थीं। बैक्टीरिया (Bacteria) और आर्किया (Archaea) इसी श्रेणी के जीव थे। इन जीवों के अस्तित्व के बारे में वैज्ञानिकों का मानना है कि लगभग 400 करोड़ साल पहले ये जीव धरती पर उत्पन्न हुए थे।
यह बैक्टीरिया और आर्किया दोनों ही सरल कोशिकाओं वाले जीव थे, और धरती पर इनका दबदबा लगभग 200 करोड़ साल तक बना रहा। लेकिन फिर एक अजीब घटना घटी, जिसमें एक आर्किया ने एक बैक्टीरिया को अपने अंदर समा लिया।
यह घटना काफी महत्वपूर्ण थी, क्योंकि इसके बाद धरती पर जीवन का रूप बदलने लगा। इस घटना के बाद जो कोशिका बनी, वह यूकेरियोट (Eukaryote) कहलाती है। यूकेरियोट जीव वह होते हैं, जिनकी कोशिकाओं में एक केंद्रक (Nucleus) होता है, जो उनके आनुवंशिक पदार्थ (DNA) को सुरक्षित रखता है।
यूकेरियोट का जन्म और जीवन का विकास
जब आर्किया के अंदर बैक्टीरिया समा गया, तो उसके बाद एक नई कोशिका उत्पन्न हुई, जो यूकेरियोट कहलाती है। यूकेरियोट कोशिकाएं पहले से कहीं अधिक जटिल थीं और इनमें ऊर्जा का उत्पादन करने की क्षमता थी। यही कारण था कि यह कोशिका विकास के लिए उपयुक्त साबित हुई, और आगे चलकर यह जीवन के जटिल रूपों में बदलने लगी।
यह एक ऐतिहासिक घटना थी, क्योंकि इसके बाद पृथ्वी पर जीवन की जटिलता बढ़ी और बहुत सी नई प्रजातियां उत्पन्न हुईं। पेड़-पौधे, जानवर, पक्षी और हम इंसान भी इसी यूकेरियोट कोशिका के परिणाम हैं। यानि हम जो भी जीवन के जटिल रूप देख रहे हैं, वह इसी कोशिका के विकास का परिणाम हैं। यह घटना धरती पर जीवन के लिए एक मील का पत्थर साबित हुई।
क्यों 200 करोड़ साल लगे
एक सवाल उठता है कि इस प्रक्रिया में 200 करोड़ साल क्यों लगे? इस सवाल का कोई सीधा जवाब नहीं है, क्योंकि यह पूरी तरह से परिस्थितियों पर निर्भर था। जीवन का यह उन्नति का सफर काफी धीमी गति से हुआ और कई जटिल प्रक्रियाओं के बाद। इसका कारण यह हो सकता है कि पहले वाली जीवन की प्रक्रिया बहुत सरल थी और उस समय पृथ्वी पर जीवन के लिए बहुत सी परिस्थितियां उपयुक्त नहीं थीं।
ब्रह्मांड में जीवन का सवाल
अब अगर हम ब्रह्मांड में जीवन के सवाल पर बात करें तो यह बहुत पेचीदा हो जाता है। क्या ब्रह्मांड में कहीं और भी जीवन है? अगर है, तो क्या वह जीवन हमारे जैसा दिखता है या कुछ अलग होता? और क्या हम उनसे संपर्क कर पाएंगे?
यह सवाल इतने जटिल हैं कि शायद इनका जवाब हमें बहुत समय तक न मिले, या फिर कभी न मिले।