Haryana news: जिंदा महिला को कागज़ों में मार डाला, पति ने रचाया ऐसा षड्यंत्र कि उड़ जाएंगे होश

Top Haryana: यमुनानगर की रहने वाली शमीना नाम की एक मुस्लिम महिला इन दिनों बेहद मुश्किल हालात से गुजर रही है। वो जिंदा होते हुए भी सरकारी दस्तावेज़ों में मृत घोषित कर दी गई है। अब शमीना खुद को जिंदा साबित करने के लिए सरकारी दफ्तरों के चक्कर काट रही है और मदद की गुहार लगा रही है।
शमीना ने बताया कि उसके पति ने उसे तीन तलाक देकर घर से निकाल दिया। इसके बाद उसने अपने परिवार और कुछ अन्य लोगों की मदद से उत्तर प्रदेश के सरसावा स्वास्थ्य केंद्र से शमीना के नाम पर फर्जी मृत्यु प्रमाण पत्र (डेथ सर्टिफिकेट) बनवा लिया।
इतना ही नहीं इस फर्जी दस्तावेज की मदद से शमीना के सभी जरूरी सरकारी कागजों से जैसे परिवार पहचान पत्र, राशन कार्ड, आदि से उसका नाम भी कटवा दिया गया। उसकी जगह पर वह जाली मृत्यु प्रमाण पत्र लगवा दिया गया। जिससे वह कानूनी रूप से मृत मानी जाने लगी।
अब शमीना जो पूरी तरह स्वस्थ और जीवित है, खुद को जिंदा साबित करने के लिए अधिकारियों से गुहार लगा रही है। वह अब तक कई दफ्तरों के चक्कर काट चुकी है। पर उसे अब तक न्याय नहीं मिला।
थक हार कर शमीना ने अब यमुनानगर के जिला उपायुक्त पार्थ गुप्ता और पुलिस अधीक्षक के सामने अपनी पूरी आपबीती रखी है। उसने दोनों अधिकारियों से निवेदन किया है कि उसकी बात को गंभीरता से लिया जाए और उसकी पहचान को फिर से बहाल किया जाए।
शमीना का कहना है कि यह केवल उसके साथ अन्याय नहीं है बल्कि एक घिनोना अपराध है। किसी भी जीवित व्यक्ति को कागज़ों में मृत घोषित कर देना न केवल मानवता के खिलाफ है, बल्कि यह कानून के खिलाफ भी है।
शमीना ने अधिकारियों को अपने जीवित होने के सारे प्रमाण भी सौंपे हैं। उसने यह मांग की है कि उसके पति और इस षड्यंत्र में शामिल सभी लोगों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई होनी चाहिए।
शमीना का कहना है कि तलाक के बाद भी किसी महिला के साथ इस तरह की साजिश करना गलत है। एक तरफ उसे उसके घर से निकाल दिया गया, और दूसरी तरफ उसे कागज़ों में खत्म कर दिया गया। अब वह समाज में अपनी पहचान और अधिकारों के लिए लड़ रही है।
इस पूरी घटना से यह सवाल उठता है कि क्या कोई भी व्यक्ति इस तरह से किसी की पहचान छीन सकता है? क्या कोई सिस्टम में इतनी बड़ी गड़बड़ी कर सकता है कि एक जिंदा महिला को मरा हुआ घोषित करवा दे?
अब सबकी नजर प्रशासन पर टिकी है कि वह इस मामले में कितनी जल्दी और कैसे न्याय दिलाता है। शमीना को पूरी उम्मीद है कि उसे न्याय जरूर मिलेगा और उसकी असली पहचान उसे दोबारा मिल सकेगी।
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