UPI New Rules: UPI के नियमों में होगा बदलाव, जानिए किन यूजर्स पर पड़ेगा असर

Top Haryana: आजकल ज्यादातर लोग ऑनलाइन पेमेंट का इस्तेमाल करते हैं। दुकानों से लेकर छोटे-बड़े लेनदेन तक, हर जगह अब लोग UPI के जरिए ही भुगतान करना पसंद करते हैं। इस डिजिटल पेमेंट सिस्टम ने लोगों की जिंदगी को काफी आसान बना दिया है। इसी को ध्यान में रखते हुए नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) ने UPI सिस्टम में कुछ नए बदलाव करने का फैसला किया है जो 1 अगस्त 2025 से लागू होंगे।
NPCI का कहना है कि इन बदलावों का मकसद UPI को और भी सुरक्षित और तेज बनाना है। साथ ही इससे सर्वर पर बढ़ते लोड को भी कम किया जा सकेगा। हालांकि इससे कुछ यूजर्स को थोड़ी परेशानी हो सकती है क्योंकि अब कुछ कामों पर सीमा तय कर दी गई है।
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जानिए क्या-क्या बदल जाएगा?
बैलेंस चेक करने की सीमा तय
अगर आप दिन में कई बार अपने बैंक खाते का बैलेंस चेक करते हैं, तो अब ऐसा बार-बार नहीं कर पाएंगे। अब एक UPI ऐप पर दिन में सिर्फ 50 बार ही बैलेंस चेक किया जा सकेगा। अगर आप दो अलग-अलग UPI ऐप्स का इस्तेमाल करते हैं, तो दोनों ऐप्स में मिलाकर 100 बार बैलेंस चेक कर सकेंगे।
ट्रांजैक्शन की स्थिति चेक करने के नियम
जब आप कोई ट्रांजैक्शन करते हैं और उसका स्टेटस चेक करना चाहते हैं (जैसे ट्रांजैक्शन हुआ या नहीं), तो अब इसमें थोड़ी देर लगेगी। अब लेनदेन शुरू होने के 90 सेकंड बाद ही आप उसका स्टेटस चेक कर पाएंगे। इसके लिए पहली API कॉल को 90 सेकंड का इंतजार करना होगा।
मोबाइल नंबर से जुड़े बैंक अकाउंट चेक करने की सीमा
कई बार यूजर्स यह जानना चाहते हैं कि उनके मोबाइल नंबर से कौन-कौन से बैंक अकाउंट लिंक हैं। अब यह जानकारी आप सिर्फ 25 बार ही रोज़ाना देख सकते हैं। इसके लिए आपको पहले अपना बैंक चुनना होगा और फिर अनुमति (approval) देनी होगी, तभी यह जानकारी मिलेगी।
क्यों किए जा रहे हैं ये बदलाव?
NPCI का कहना है कि UPI का इस्तेमाल तेजी से बढ़ रहा है। इससे UPI नेटवर्क पर भारी लोड पड़ रहा है, जिससे कभी-कभी सिस्टम स्लो हो जाता है या तकनीकी दिक्कतें आती हैं। इन नए नियमों से सिस्टम की स्थिरता (stability) और सुरक्षा (security) बेहतर होगी। ट्रांजैक्शन में देरी कम होगी और यूजर्स को बेहतर अनुभव (better experience) मिलेगा।
किन यूजर्स पर पड़ेगा असर?
जो यूजर्स दिन में बहुत बार बैलेंस चेक करते हैं या ट्रांजैक्शन स्टेटस बार-बार देखते हैं, उन्हें थोड़ी रोक का सामना करना पड़ सकता है लेकिन आम लोगों के लिए जो रोज़मर्रा के छोटे-मोटे ट्रांजैक्शन करते हैं। उनके लिए ये बदलाव सकारात्मक साबित होंगे।
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