सरकारी नौकरी ठुकराकर बिजनेस किया शुरू, अपने पुरखों के खेतों और इनोवेशन से लाखों में कमाई, क्या है राज

Top Haryana, New Delhi: आधुनिक युग में लगभग हर कोई यह सोचता है कि किसी तरह सरकारी नौकरी लग जाए फिर तो लाइफ सेट है और इसके बाद जिंदगी में कोई भी टेंशन नहीं रहेगी। कोई भी अपने पूर्वजों की जमीन पर खेती नहीं करना चाहता, यहां तक की किसान के बच्चों की भी यही सोच है, लेकिन किशन रवि धारीवाल इस चलन को उल्टा कर दिया। किशन रवि धारीवाल ने पुरी दुनिया के सामने मिसाल कायम करके यह बताया कि आज भी खेती से लाखों रुपये कमाए जा सकते है।
अक्सर यही सुनने को मिलता है कि किसान के बेटे ने कड़ी मेहनत की और एक सरकारी नौकरी हासिल की, लेकिन यह दौर धीरे-धीरे बदल रहा है बहुत से लोग किसानी में रुचि दिखा रहे है। किसानों के वंशज अपने माता पिता से विरासत में मिली जमीन पर आधुनिक खेती करके उसे और भी ज्यादा लाभदायक बिजनेस में बदल रहे है। जहां पहले बहुत से किसान के बच्चों के लिए खेती एक मजबूरी थी वहीं वर्तमान में इसे एक रुचि के रूप में किया जा रहा है। यह कहानी भी एक ऐसे ही किसान की है जिसने आर्मी और रोडवेज जैसी सरकारी नौकरी होने के बावजूद भी कृषि करने का फैसला लिया और उसे एक बिजनेस में बदल दिया जिससे वह लाखों का मुनाफा कमा रहा है।
नौकरी ठुकराकर शुरू की खेती
किशन रवि धारीवाल काफी वर्षों से ऑर्गेनिक खेती करके अलग-अलग चीजों का उत्पादन कर रहे हैं, जिससे देश और दुनिया में हर किसी को प्राकृतिक चीजे उपलब्ध करा रहे है। मीडिया के द्वारा एक इंटरव्यू में किशन रवि धारीवाल ने कहा कि, "मैं ग्रेजुएट हूं और मेरी सरकारी जॉब लग गई थी, लेकिन मैंने जानबूझकर सरकारी नौकरी नहीं की"। उन्होने कहा कि, "मेरी दिल्ली रोडवेज और आर्मी दोनों जगह जॉब लग गई थी लेकिन मैंने दोनों जगह से इन नौकरियों को ज्वॉइन नहीं किया।
उसके पीछे का कारण यह रहा कि मेरा मानना था कि किसी की नौकरी नहीं करेंगे और कुछ अलग हटके ही काम करेंगे। उसके बाद मैं 100 दिन का ट्रेनिंग प्राप्त करने के बाद डिप्लोमा लिया और लोगों को शुद्ध और प्राकृतिक चीज देने की मन में ठान ली, क्योंकि ज्यादातर चीजों में मिलावट आ रही है। इसे देखते हुए हमने शुद्ध और प्राकृतिक चीजों को बढ़ावा देना शुरू किया"। इसके साथ उन्होने यह भी कहा कि, "मैं अभी आंवले की चटनी, आंवला सहित कई प्राकृतिक चीज बना रहा हूं, जो लोगों को मुहैया कराने का काम कर रहा हूं"।