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Job Update: 200 कंपनियों ने लिया बड़ा निर्णय, हफ्ते में केवल 4 दिन काम बाकी दिन आराम 

Job Update: कार्य के दिन कम करने के बाद भी कर्मचारियों की सैलरी में किसी भी प्रकार की कोई कटौती नहीं की जाएगी, कर्मचारियों को बिना किसी वित्तीय चिंता के अपने काम पर ध्यान केंद्रित करने का अवसर...

 
Job Update: 200 कंपनियों ने लिया बड़ा निर्णय, हफ्ते में केवल 4 दिन काम बाकी दिन आराम 

TOP HARYANA: हमारे देश में जहां पर 90 घंटे, 70 घंटे हफ्ते में काम करने की वकालत की जा रही है तो दूसरी ओर ब्रिटेन की 200 कंपनियों ने एक ऐतिहासिक फैसला लिया है, जिससे यह पर काम करने वाले सभी लोग और कर्मचारी अत्यधिक खुश हो गए है।ब्रिटेन की 200 कंपनियों के इस निर्णय के तहत कर्मचारियों को हफ्ते में केवल चार ही दिन काम करना होगा और तीन दिन की छुट्टी मिलेगी।

ब्रिटेन में यह कदम वर्क-लाइफ बैलेंस को सुधारने और कर्मचारियों की संतुष्टि बढ़ाने के उद्देश्य से उठाया गया है, कंपनियों के इस  ऐतिहासिक फैसले व इस नीति का लाभ 5 हजार से अधिक कर्मचारियों को मिलेगा। जो अलग-अलग क्षेत्रों में कार्यरत हैं और कार्य कर रहे है, जैसे कि मार्केटिंग, टेक्नोलॉजी, ऑफिस और चैरिटी।

नए दौर का यह नया नियम

इस फैसले के पीछे का मुख्य उद्देश्य कर्मचारियों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार और बेहतर करना है, चार दिन का कार्य सप्ताह अपनाने वाली कंपनियों का मानना है कि यह पुरानी आर्थिक संरचना से बाहर निकलने का एक नया उपाय है। द गार्जियन की रिपोर्ट के मुताबिक फाउंडेशन कैम्पैन के निदेशक जोई राइल ने कहा कि 9 से 5 का वर्क पैटर्न 100 साल पहले विकसित हुआ था।

100 साल पहले विकसित किए हुए यह समय अब आधुनिक समय के लिए उपयुक्त नहीं है उन्होंने कहा कि इस बदलाव से कर्मचारियों को 50 फीसदी अधिक फ्री टाइम मिलेगा, जिससे वे खुशहाल और संतुष्ट जीवन व्यक्त करने वाले है। 

सैलरी उतनी ही मिलेगी

सबसे खास बात ये है कि काम के दिन कम करने के बाद भी कर्मचारियों की सैलरी में किसी भी प्रकार की कोई कटौती नहीं की जाएगी। जिसके चलते कर्मचारियों को बिना किसी वित्तीय चिंता के अपने काम पर ध्यान केंद्रित करने का मौका मिलेगा। कंपनियों ने इस नीति को लागू करने के लिए गंभीरता से विचार किया है जिससे न केवल कर्मचारी बल्कि कंपनियां भी फायदे में रहने वाली है।

90 घंटे वालों को मिला करारा जवाब

ब्रिटेन की इन 200 कंपनियों के फैसले का असर वैश्विक संदर्भ में भी काफी ज्यादा महत्व रखता है, खासकर तब जब भारत में कुछ कंपनियां अपने कर्मचारियों से 70 से 90 घंटे काम करने की अपेक्षा कर रही है। ब्रिटेन का यह कदम न केवल कर्मचारियों बेहतर है बल्कि यह अन्य देशों के लिए भी एक उदाहरण पेश करता है कि कैसे वर्क-लाइफ बैलेंस को प्राथमिकता दी जानी चाहिए।