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Income Tax: विरासत में मिली प्रॉपर्टी पर कितना टैक्स देना पड़ता है? जानें

Income Tax: विरासत में मिली प्रॉपर्टी बेचने पर टैक्स से जुड़े नियम थोड़े मुश्किल भरे हो सकते हैं। आइए जानें इनके बारें में विस्तार से...
 
विरासत में मिली प्रॉपर्टी पर कितना टैक्स देना पड़ता है? जानें
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Top Haryana: आपको अगर अपने बाप-दादा या परिवार के किसी सदस्य से कोई प्रॉपर्टी विरासत में मिली है और आप उसे बेचना चाहते हैं, तो यह जानना ज़रूरी है कि इस पर इन्कम टैक्स कैसे लगता है। सीधे शब्दों में कहें, तो जब आप विरासत में मिली संपत्ति बेचते हैं, तब उस पर होने वाले फायदे या नुकसान पर टैक्स लगता है लेकिन जब आप केवल प्रॉपर्टी को विरासत में लेते हैं, उस समय कोई टैक्स नहीं देना पड़ता।

प्रॉपर्टी बेचने पर टैक्स कैसे लगता है?
अगर आपने विरासत में मिली प्रॉपर्टी को 24 महीने से ज़्यादा समय तक रखा है, तो उसे दीर्घकालिक पूंजीगत संपत्ति (Long-Term Capital Asset) माना जाएगा और अगर 24 महीने से कम समय तक रखा है, तो वह अल्पकालिक पूंजीगत संपत्ति (Short-Term Capital Asset) होगी।

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जब आप इस प्रॉपर्टी को बेचते हैं, तो जो मुनाफा (बिक्री कीमत - लागत) होगा, उसी पर टैक्स लगेगा। अगर वह दीर्घकालिक लाभ है, तो उस पर 20% टैक्स, साथ ही सरचार्ज और सेस लगाया जाता है।

लागत की गणना कैसे होती है?
मान लीजिए प्रॉपर्टी आपके दादाजी के नाम पर थी, और अब वह आपको मिली है। तो प्रॉपर्टी की मूल लागत वही मानी जाएगी, जो आपके दादाजी ने दी थी। लेकिन अगर प्रॉपर्टी 1 अप्रैल 2001 से पहले खरीदी गई थी, तो आप उस दिन का बाजार मूल्य (Fair Market Value) भी चुन सकते हैं।

इसके बाद जब आप इसे बेचते हैं, तो प्रॉपर्टी की कीमत, मरम्मत या सुधार पर हुए खर्च और खरीद-बिक्री से जुड़े अन्य खर्चों को निकालकर जो मुनाफा बचता है, उसी पर टैक्स लगाया जाएगा।

टैक्स से बचने के तरीके
आप रिहायशी मकान बेचते हैं और उस पैसे से दोबारा कोई नया मकान खरीदते हैं (सेक्शन 54 के तहत), या सरकार द्वारा 54EC बांड्स में निवेश करते हैं, तो आप टैक्स से छूट पा सकते हैं। मगर इसके लिए तय समय और शर्तों का पालन ज़रूरी है।

जब प्रॉपर्टी में हिस्सा कई लोगों में बंटा हो
विरासत में मिली प्रॉपर्टी में कई उत्तराधिकारी (heirs) हैं, तो हर किसी को उसके हिस्से के अनुसार टैक्स देना होगा। मान लीजिए आपको और आपके एक रिश्तेदार को विरासत में प्रॉपर्टी का 1/14वां हिस्सा मिला है, और आपने बाकी का 6/14वां हिस्सा अन्य कानूनी उत्तराधिकारियों से खरीदा है, तो दोनों हिस्सों पर टैक्स अलग-अलग तरीके से लगेगा।

विरासत में मिले हिस्से की मूल लागत और अवधि आपके दादाजी के समय से मानी जाएगी। जबकि खरीदे गए हिस्से के लिए खरीद की तारीख और दी गई राशि को आधार माना जाएगा। अगर खरीदा गया हिस्सा भी 24 महीने से ज्यादा समय तक आपके पास रहा, तो उसे भी दीर्घकालिक माना जाएगा।

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