Budget 2025: बजट पेश के मामले में ब्रिटिश सम्राज्य को भारत ने चटाई धूल, जानें पूरी जानकारी
Budget 2025: भारत देश के यूनियन बजट से जुड़ी हुई बहुत सारी ऐतिहासिक परंपराएं रही है, इनमें से एक महत्वपूर्ण बदलाव 2001 में किया गया था, जो आज के समय में भी एक चर्चा का विषय है।

TOP HARYANA: बजट किसी भी देश की आर्थिक दिशा और विकास की गति का एक महत्वपूर्ण भाग होता है, यह न केवल सरकार के वित्तीय दृष्टिकोण को दर्शाता है बल्कि यह भी निर्धारित करता है कि किसी देश के विभिन्न क्षेत्रों में कितनी प्राथमिकता दी जानी चाहिए। सरकार के द्वारा निर्धारित योजनाओं और नीतियों के अनुसार आर्थिक संसाधनों का वितरण किया जाता है। हर देश का बजट उस वर्ष की आर्थिक स्थिति को प्रभावित करता है और भविष्य के विकास और समृद्धि के लिए भी मार्गदर्शन प्रदान करता है।
2001 में किया था एक ऐतिहासिक परिवर्तन
भारत देश के यूनियन बजट से जुड़ी हुई बहुत सारी ऐतिहासिक परंपराएं रही है, इनमें से एक महत्वपूर्ण बदलाव 2001 में हुआ था, जो आज भी चर्चा का विषय है।इस परिवर्तन ने न केवल भारत के बजट पेश करने की प्रक्रिया को नया रूप दिया, बल्कि यह बदलाव भारत की बढ़ती आर्थिक और आत्मनिर्भरता का प्रतीक भी बन गया था। भारत में बजट पेश करने की एक पुरानी परंपरा रही है 1927 से लेकर 2000 तक इस परंपरा के अनुसार, भारत का बजट हर साल शाम के 5 बजे पेश किया जाता था।
ब्रिटेन के हाउस में सुनते थे सांसद भारतीय बजट का भाषण
इस वक्त ब्रिटेन के हाउस ऑफ लॉर्ड्स और हाउस ऑफ कॉमन्स में बैठे सांसद भारतीय बजट के भाषण को सुनते थे, जिसका कारण यह था कि भारत के कारोबारी हित ब्रिटेन के लंदन स्टॉक एक्सचेंज से जुड़े हुए होते थे और भारतीय बजट का असर सीधे तौर पर उन पर पड़ता था। यह परंपरा भारत के स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद भी जारी रही लेकिन 50 वर्षों के बाद इसे बदलने का निर्णय लिया गया।
2001 में तत्कालीन वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा ने भारतीय समय अनुसार बजट पेश करने का निर्णय कर दिया। उन्होंने बजट को दिन में पेश करने का फैसला लिया, जो भारत की स्थानीय परंपराओं और जरूरतों के मुताबिक था।
आर्थिक और राजनीतिक
यह निर्णय भारत की आर्थिक और राजनीतिक स्वतंत्रता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम था, भारत के वित्तीय निर्णय अब पूरी तरह से देश के संदर्भ में लिए जा रहे थे। 2001 में यह बदलाव केवल एक समय परिवर्तन तक सीमित नहीं रहा था बल्कि यह भारत की बढ़ती ताकत और संप्रभुता का प्रतीक बन चुका था। यह कदम दर्शाता है कि भारत ने अपनी आर्थिक स्थिति को सशक्त और अब वह पूरी दुनिया में एक मजबूत शक्ति के रूप में खड़ा है।