Supreme Court: GST कानून को लेकर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, गिरफ्तारी से मिली राहत
Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने GST और कस्टम मामलों में अग्रिम जमानत को मान्यता देते हुए, FIR दर्ज होने से पहले भी अदालत से राहत मिल सकती है, कस्टम अधिकारियों को पुलिस अधिकारी नहीं माना जाएगा।

Top Haryana: सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा कि गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स GST अधिनियम और कस्टम अधिनियम के मामलों में अग्रिम जमानत का प्रावधान लागू होगा। चीफ जस्टिस संजीव खन्ना की अगुवाई वाली बेंच ने कहा है कि FIR दर्ज न होने की स्थिति में भी शख्स अग्रिम जमानत के लिए अदालत का रुख कर सकते है।
फैसला भारतीय दंड प्रक्रिया संहिता और उसके बाद लागू भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) के तहत जारी किया गया है, सुनवाई के बाद पिछले साल 16 मई को इस मामले पर फैसला सुरक्षित रखा गया था। फैसला चीफ जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस एम.एम. सुंदरेश और जस्टिस बेला एम. त्रिवेदी की बेंच ने CGST, SGST और कस्टम अधिनियम की दंडात्मक धाराओं की संवैधानिकता को चुनौती देने वाली 279 याचिकाओं पर सुनाया गया है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि PMLA के तहत गिरफ्तारी केवल तभी की जा सकती है जब कारणों पर विश्वास हो, अब इसी सिद्धांत को GST और कस्टम अधिनियम की गिरफ्तारियों पर लागू किया गया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि GST विभाग द्वारा गिरफ्तारी को लेकर जारी किए गए सर्कुलर का सख्ती से पालन होना चाहिए।
अदालत ने स्पष्ट किया कि कस्टम अधिकारियों को पुलिस अधिकारी नहीं माना जा सकता, CJI संजीव खन्ना ने कहा कि हमारे पास डेटा मौजूद है, जो दिखाता है कि कर भुगतान में बल प्रयोग और जबरदस्ती के आरोपों में कुछ सच्चाई हो सकती है। यह कानून के खिलाफ है और इसे बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। यदि कोई व्यक्ति इस प्रकार के दबाव में कर चुकाता है तो वह रिट याचिका दायर कर न्याय ले सकता है।
संदेह के आधार पर गिरफ्तारी नहीं
कोर्ट ने कहा केवल संदेह के आधार पर गिरफ्तारी नहीं की जा सकती है, अधिकारियों को गिरफ्तारी से पहले प्रमाणित साक्ष्य रखना होगा, जिसे मैजिस्ट्रेट सत्यापित कर सके। गिरफ्तारी के प्रावधानों में अस्पष्टता के कारण नागरिकों को परेशान नहीं किया जाना चाहिए, GST अधिनियम की धारा 69 अस्पष्ट है, इसलिए इसे न्यायालय द्वारा नागरिक स्वतंत्रता को मजबूत करने के दृष्टिकोण से व्याख्या किया जाएगा।
कर दाताओं को राहत
यह फैसला न सिर्फ GST और कस्टम मामलों में गिरफ्तारी की शक्ति को नियंत्रित करेगा, बल्कि अग्रिम जमानत का मार्ग भी प्रशस्त करेगा और करदाताओं को जबरदस्ती कर वसूली से बचाने में सहायता करेगा। फैसला करदाताओं और व्यापारियों के लिए एक बड़ी राहत है क्योंकि अब वे FIR दर्ज होने से पहले भी गिरफ्तारी से बचाव के लिए अग्रिम जमानत की मांग कर सकते है।