Property of Deceased Father: इन बेटियों को नहीं मिलेगा पिता की प्रॉपर्टी में अधिकार, हाईकोर्ट!
Important Decision: दिल्ली उच्च न्यायालय का हालिया निर्णय एक महत्वपूर्ण न्यायिक फैसला है, जिसमें अविवाहित और विधवा बेटियों के अधिकारों को लेकर एक स्पष्ट दिशा दी गई है। इस फैसले ने बताया कि अविवाहित और विधवा बेटियां अपने मृत पिता की संपत्ति में हकदार होती हैं, जबकि तलाकशुदा बेटियों पर यह नियम लागू नहीं होता है...

Top Haryana: दिल्ली उच्च न्यायालय का यह फैसला भारतीय पारिवारिक कानून और संपत्ति अधिकारों के संदर्भ में एक महत्वपूर्ण दृष्टिकोण पेश करता है। कोर्ट ने अविवाहित और विधवा बेटियों को अपने मृत पिता की संपत्ति में हकदार माना है, जबकि तलाकशुदा बेटियों को यह अधिकार देने से मना कर दिया है...
फैसले का कारण:
दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों ने यह निर्णय लिया कि तलाकशुदा बेटी कानूनी रूप से अपने पति से गुजारा भत्ता (maintenance) प्राप्त करने का अधिकार रखती है, जबकि अविवाहित और विधवा बेटियों के लिए यह भरण-पोषण या देखभाल का सहारा उनके पिता से हो सकता है, क्योंकि वे अपने परिवार के सदस्य के रूप में वित्तीय रूप से निर्भर रहती हैं।
तलाकशुदा बेटी का अधिकार:
कोर्ट ने कहा कि तलाकशुदा बेटी अपने पिता पर निर्भर नहीं होती है, क्योंकि उसे अपने पति से गुजाराभत्ता पाने का अधिकार होता है। इसके चलते पिता की संपत्ति में हिस्सा मांगने का अधिकार उसे नहीं दिया जा सकता।गुजाराभत्ता के लिए हिंदू दत्तक ग्रहण एवं भरण-पोषण अधिनियम (Hindu Adoption and Maintenance Act) की धारा 21 का हवाला देते हुए कोर्ट ने कहा कि तलाकशुदा बेटी भरण-पोषण का दावा अपने पति से कर सकती है, न कि अपने परिवार से।
अविवाहित और विधवा बेटियों का अधिकार:
कोर्ट ने स्पष्ट किया कि अविवाहित और विधवा बेटियों के पास आर्थिक भरण-पोषण के अन्य विकल्प नहीं होते, इसीलिए उन्हें पिता की संपत्ति में हिस्सा और परिवार से भरण-पोषण प्राप्त करने का अधिकार होता है।
महिला का दावा:
याचिकाकर्ता महिला ने यह दावा किया था कि कानूनी वारिस होने के नाते उसे मृत पिता की संपत्ति में हिस्सा नहीं दिया गया। उसने यह भी कहा कि मां और भाई ने उसे हर महीने भरण-पोषण का खर्च देने का वादा किया था, लेकिन बाद में उन्होंने शर्त रखी कि वह संपत्ति में हिस्सा नहीं मांगेगी। महिला ने यह भी बताया कि उसके पति ने एकतरफा तलाक दे दिया था और उसके बाद वह गुजाराभत्ता नहीं प्राप्त कर सकी, क्योंकि उसके पति का कहीं पता नहीं चला।
दिल्ली उच्च न्यायालय का निष्कर्ष:
कोर्ट ने महिला की याचिका खारिज करते हुए कहा कि, "आप अपने पति से गुजाराभत्ता लेने के लिए कानूनी उपायों का सहारा ले सकती हैं," और यह कि हिंदू दत्तक ग्रहण एवं भरण-पोषण अधिनियम की धारा 21 में तलाकशुदा बेटियों का कोई उल्लेख नहीं है।
यह फैसला कानूनी दृष्टिकोण से तो स्पष्ट है, लेकिन यह सामाजिक और न्यायिक दृष्टिकोण से भी चर्चा का विषय हो सकता है।
कुछ लोगों का मानना हो सकता है कि तलाकशुदा बेटियों को भी उनके मृत पिता की संपत्ति में हिस्सा मिलना चाहिए, क्योंकि वे भी कानूनी तौर पर वारिस होती हैं और शायद उनकी आर्थिक स्थिति ऐसी हो कि वे पति से गुजाराभत्ता प्राप्त नहीं कर पा रही हों।