Pahalgam Terror Attack: शादी के 7 दिन बाद शहीद हुए लेफ्टिनेंट विनय, पत्नी हिमांशी ने बताई दर्दनाक घटना, सुनकर आ जाएगा रोना

Top haryana, Jammu-Kashmir Desk: जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को एक दर्दनाक आ*तंकी हमला हुआ, जिसमें भारतीय नेवी के लेफ्टिनेंट विनय नरवाल शहीद हो गए। वह अपनी पत्नी हिमांशी के साथ हनीमून मनाने गए थे। शादी के सिर्फ 7 दिन बाद ही यह हमला हुआ। हिमांशी के सामने ही आतं*कियों ने विनय को गोली मार दी।
अंतिम संस्कार में भावुक माहौल
23 अप्रैल की शाम विनय नरवाल का करनाल में अंतिम संस्कार किया गया। जब शहीद का पार्थिव शरीर घर पहुंचा तो परिवार पर दुख का पहाड़ टूट पड़ा। पत्नी हिमांशी ताबूत से लिपटकर रोती रहीं। उन्होंने नम आंखों से पति को सलाम भी किया। अंतिम दर्शन के वक्त वह लगातार विनय का चेहरा निहारती रहीं।
शहीद की बहन श्रृष्टि नरवाल ने अपने भाई की अर्थी को कंधा दिया और मुखाग्नि भी दी। वह भी बहुत भावुक थीं। उन्होंने हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सैनी से कहा “मुझे बदला चाहिए, जिसने मेरे भाई को मारा है, उसे मरा हुआ देखना है।”
हमले का दर्दनाक किस्सा हिमांशी की जुबानी
हिमांशी ने बताया कि 22 अप्रैल को वे दोनों बैसरन घाटी में घूमने गए थे। तभी कुछ लोग आए और विनय से उनका नाम पूछा। फिर एक आदमी ने कहा “ये मुस्लिम नहीं है” और तुरंत गोली मार दी। हिमांशी का यह बयान एक वीडियो में वायरल भी हुआ है, जिसमें वह कहती हैं “मैं अपने पति के साथ भेलपुरी खा रही थी। अचानक एक आदमी आया और गोली चला दी।”
शादी और हनीमून का सपना अधूरा रह गया
लेफ्टिनेंट विनय नरवाल मूल रूप से करनाल जिले के भुसली गांव के रहने वाले थे। उनका परिवार अब सेक्टर-7 में रहता है। तीन साल पहले उनका चयन नेवी में हुआ था और उनकी पोस्टिंग केरल के कोच्चि में थी। दो महीने पहले ही उनकी सगाई गुरुग्राम की हिमांशी से हुई थी। 16 अप्रैल को मसूरी में दोनों की शादी हुई और 19 अप्रैल को करनाल में रिसेप्शन रखा गया।
शादी के बाद दोनों ने यूरोप में हनीमून मनाने का प्लान बनाया था। इसके लिए वीजा भी अप्लाई किया था लेकिन वीजा समय पर नहीं लगा, इसलिए वे जम्मू-कश्मीर घूमने चले गए। 21 अप्रैल को दोनों पहलगाम पहुंचे और एक होटल में रुके थे। अगली ही दोपहर 22 अप्रैल को यह खौफनाक हमला हुआ।
देश ने एक वीर सपूत को खो दिया
26 साल के विनय नरवाल बहुत होनहार और देशभक्त नौजवान थे। तीन साल की सर्विस में ही वह नेवी में लेफ्टिनेंट बन चुके थे। उनका सपना था देश की सेवा करना लेकिन आतं*कियों ने उनके जीवन को समय से पहले ही खत्म कर दिया। उनके शहीद होने से पूरे इलाके में शोक की लहर है। हिमांशी का कहना है कि उनके सामने जो हुआ, वो कभी नहीं भूल पाएंगी। देश ने एक बहादुर जवान को खो दिया और एक नवविवाहिता ने अपने जीवनसाथी को।
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