Hisar News: हिसार में छात्रों के समर्थन में जुटी महापंचायत, प्रशासन ने लगाई धारा 163

Top Haryana: हरियाणा के हिसार जिले में छात्रों के प्रदर्शन ने बड़ा रूप ले लिया है। चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय (एचएयू) के छात्रों द्वारा चल रहे आंदोलन को अब कई किसान, छात्र और सामाजिक संगठनों का समर्थन मिलने लगा है। इसी कड़ी में आज हिसार में ‘छात्र न्याय महापंचायत’ का आयोजन किया गया जिसमें बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए। इस महापंचायत में किसान नेता गुरनाम सिंह चढूनी भी मौजूद रहे।
प्रशासन ने लगाया धारा 163
छात्र न्याय महापंचायत को देखते हुए हिसार जिला प्रशासन ने इलाके में धारा 163 लागू कर दी है। पुलिस प्रशासन का कहना है कि इस महापंचायत के लिए छात्रों ने किसी प्रकार की अनुमति नहीं ली थी इसलिए यह कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए जरूरी कदम है। पुलिस अधीक्षक के मुताबिक बिना अनुमति के इस प्रकार की भीड़ इकट्ठा करना नियमों के खिलाफ है।
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एचएयू गेट नंबर चार के सामने जुटे लोग
यह महापंचायत एचएयू के गेट नंबर चार के सामने हो रही है। सुबह 10 बजे से ही लोग बड़ी संख्या में पहुंचने लगे और छात्रों के समर्थन में नारेबाजी करते नजर आए। मंच का संचालन खुद विश्वविद्यालय के छात्र ही कर रहे हैं। प्रदर्शन में आए लोग छात्रों के साथ हो रही अन्यायपूर्ण कार्रवाई के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं।
क्या है विवाद की जड़
पूरा मामला एमएससी और पीएचडी विद्यार्थियों को मिलने वाली छात्रवृत्ति में की गई कटौती से जुड़ा है। छात्रों का आरोप है कि विश्वविद्यालय प्रशासन ने बिना किसी सूचना के स्कॉलरशिप में भारी कटौती कर दी। इसको लेकर 10 जून को विद्यार्थी कुलपति कार्यालय के बाहर विरोध जताने पहुंचे थे। इसी दौरान छात्रों और सुरक्षा कर्मियों के बीच कहासुनी हो गई।
लाठीचार्ज के बाद भड़का गुस्सा
जब छात्र कुलपति आवास की ओर बढ़े तो रात करीब 10 बजे पुलिस ने छात्रों पर लाठीचार्ज कर दिया। इस लाठीचार्ज में तीन छात्रों को सिर में गंभीर चोटें आईं। छात्रों का आरोप है कि कुलपति के सामने ही विश्वविद्यालय के कुछ अधिकारी और प्रोफेसर ने उनके साथ मारपीट की। इसी घटना के बाद से छात्र धरने पर बैठे हुए हैं और न्याय की मांग कर रहे हैं।
छात्रों को मिला जन समर्थन
इस घटना के बाद से न सिर्फ छात्र, बल्कि किसान और सामाजिक संगठन भी उनके समर्थन में आ गए हैं। सभी की मांग है कि छात्रों पर लाठीचार्ज करने वालों के खिलाफ कार्रवाई हो और छात्रवृत्ति की पुरानी व्यवस्था दोबारा लागू की जाए।
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