High Court: क्या दामाद को ससुर की प्रॉपर्टी में हक मिलता है? हाई कोर्ट का बड़ा फैसला

Top Haryana, New Delhi: शादी हर इंसान के जीवन का एक अहम हिस्सा होती है। शादी के बाद बेटी अपने ससुराल चली जाती है। उसके मायके वाले अक्सर उसकी भलाई के लिए हर मुमकिन कोशिश करते हैं। वे चाहते हैं कि उनकी बेटी ससुराल में खुश और सुरक्षित रहे। मगर इसका ये मतलब नहीं कि ससुराल वालों की हर मांग को बिना सवाल मान लिया जाए।
इसी से जुड़ा एक मामला हाल ही में सामने आया, जिसमें हाई कोर्ट ने साफ कर दिया कि दामाद को ससुर की प्रॉपर्टी पर कोई कानूनी अधिकार नहीं होता। चाहे दामाद ने उस प्रॉपर्टी को खरीदने में आर्थिक मदद ही क्यों न की हो, फिर भी वह उस पर दावा नहीं कर सकता।
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अगर ससुर अपनी मर्जी से अपनी प्रॉपर्टी दामाद के नाम कर दें, तभी वह प्रॉपर्टी दामाद की मानी जाएगी। अगर यह जबरदस्ती या धोखे से किया गया हो, तो उसे अदालत में चुनौती दी जा सकती है।
पत्नी के मामले में भी कुछ इसी तरह के नियम हैं। पत्नी को अपने पति की प्रॉपर्टी में तभी हिस्सा मिलता है, जब पति की मौत हो जाए। उस स्थिति में पत्नी को सिर्फ अपने पति के हिस्से की संपत्ति मिलती है। अगर बाद में सास-ससुर की भी मृत्यु हो जाए और उन्होंने अपनी संपत्ति किसी और के नाम न की हो, तभी पत्नी को उस प्रॉपर्टी में हक मिल सकता है।
क्या था केस
अब बात करते हैं उस केस की, जिसके आधार पर हाई कोर्ट ने यह फैसला सुनाया। केरल हाई कोर्ट में डेविस राफेल नाम के एक व्यक्ति ने अपील दायर की थी। उन्होंने कोर्ट से कहा कि उन्हें अपने ससुर हेंड्री थॉमस की प्रॉपर्टी में रहने का हक मिलना चाहिए, क्योंकि उन्होंने हेंड्री की इकलौती बेटी से शादी की है और वह परिवार का हिस्सा हैं।
हेंड्री थॉमस ने कोर्ट में दावा किया कि वह प्रॉपर्टी उन्हें चर्च के फादर के जरिए गिफ्ट में मिली थी और उन्होंने अपनी मेहनत से उसमें मकान बनवाया है। उन्होंने यह भी कहा कि उनके दामाद डेविस जबरदस्ती उनके घर में रह रहे हैं और प्रॉपर्टी पर कब्जा करने की कोशिश कर रहे हैं।
इस पर ट्रायल कोर्ट ने फैसला सुनाया कि दामाद का ससुर की प्रॉपर्टी पर कोई हक नहीं है। डेविस ने इसके खिलाफ हाई कोर्ट में अपील की, पर हाई कोर्ट ने भी उनकी अपील खारिज कर दी।
कोर्ट ने क्या कहा
कोर्ट ने कहा कि सिर्फ शादी होने से कोई व्यक्ति ससुर की संपत्ति का हकदार नहीं बन जाता। दामाद को परिवार का सदस्य मानने का यह तर्क अदालत को सही नहीं लगा। कोर्ट ने इसे एक “शर्मनाक तर्क” बताया और साफ कहा कि दामाद का ससुर की प्रॉपर्टी पर कोई कानूनी अधिकार नहीं है।
इस फैसले से यह साफ हो गया कि शादी के रिश्ते के आधार पर प्रॉपर्टी में हक नहीं मांगा जा सकता। प्रॉपर्टी पर हक तभी मिलेगा, जब उसका कानूनी दस्तावेज हो या प्रॉपर्टी किसी की वसीयत या रजिस्ट्री के जरिए हस्तांतरित की गई हो।
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