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Haryana news: हरियाणा के इस जिले में पानी की समस्या होगी खत्म, बनेंगे दो नए भूमिगत जल टैंक

Haryana news: हरियाणा सरकार इस जिले में दो नए भूमिगत जल टेंक बनाने जा रही है, आइए जानें कहां बन रहें है और क्या इससे फायदा होगा।
 
भूमिगत जल टैंक
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Top Haryana: फरीदाबाद के लोगों के लिए गर्मी के मौसम में बड़ी राहत की खबर है। अब शहर के 15 से ज्यादा इलाकों में पानी की किल्लत नहीं होगी। फरीदाबाद मेट्रोपॉलिटन डिवेलपमेंट अथॉरिटी (FMDA) ने पानी की सप्लाई सुधारने के लिए दो बड़े भूमिगत जल टैंक बनाने की योजना तैयार की है। ये टैंक गांव गाजीपुर और बाजरी में बनाए जाएंगे और इनकी पानी भंडारण क्षमता 5 हजार लीटर होगी।

किन इलाकों को मिलेगा फायदा?
इन टैंकों के बनने से गाजीपुर, बाजरी, डबुआ, जीवन नगर समेत आस-पास के करीब 15 इलाकों को फायदा होगा। गर्मी के मौसम में जब पानी की सबसे ज्यादा जरूरत होती है, तब इन इलाकों में लोगों को पर्याप्त मात्रा में साफ पानी मिल सकेगा।

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खारे पानी से मिलेगी राहत
इन इलाकों में लोग अब तक ट्यूबवेल से पानी ले रहे थे। ट्यूबवेल का पानी खारा होने के कारण पीने लायक नहीं था। इससे लोगों को पेट की बीमारियां और पत्थरी जैसी समस्याएं हो रही थीं। नगर निगम की ओर से लंबे समय से कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया था, जिससे लोग मजबूरी में प्राइवेट टैंकरों से पानी मंगवाने को मजबूर थे।

आधुनिक तकनीक से होगा जल भंडारण
अब नगर निगम और FMDA मिलकर इस समस्या को दूर करने के लिए दो भूमिगत जल टैंक बना रहे हैं। इन टैंकों में आधुनिक बूस्टिंग मशीनें लगाई जाएंगी, ताकि पानी को दूर-दराज के क्षेत्रों में आसानी से भेजा जा सके। टैंक में पानी को दूषित होने से बचाने के लिए जरूरी दवाइयां डाली जाएंगी।

बिजली और जेनरेटर की भी व्यवस्था
पानी सप्लाई में किसी तरह की बाधा न आए, इसके लिए बिजली के उप-स्टेशन भी बनाए जाएंगे। साथ ही डीजल से चलने वाले जेनरेटर भी लगाए जाएंगे, ताकि बिजली कटौती की स्थिति में भी सप्लाई जारी रह सके।

तीन महीने में पूरा होगा प्रोजेक्ट
पर्वतीय कॉलोनी के अटल चौक से केडी स्कूल तक पानी की पाइप लाइन बिछाने की योजना भी बनाई गई है। इससे तुरंत पानी की आपूर्ति शुरू की जा सकेगी। इंजीनियरों की टीम को जमीन की माप, मिट्टी की गुणवत्ता और भूजल की जांच करने के लिए भेजा गया है, ताकि निर्माण कार्य के दौरान कोई रुकावट न आए। FMDA का लक्ष्य है कि ये दोनों भूमिगत जल टैंक तीन महीने के अंदर पूरी तरह से तैयार हो जाएं। इसके बाद इलाके के लोगों को साफ, सुरक्षित और पर्याप्त पानी मिलना शुरू हो जाएगा।

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