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Haryana news: SYL नहर को लेकर हरियाणा और पंजाब के बीच इस तारीख को होगी महत्वपूर्ण बैठक, पढ़ें पूरी खबर

Haryana news: सतलुज-यमुना लिंक (एसवाईएल) नहर को लेकर हरियाणा और पंजाब के बीच लंबे समय से चल रहा विवाद अब एक नए मोड़ पर पहुंच चुका है। आइए जानें पूरी खबर विस्तार से...
 
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Top Haryana: सतलुज-यमुना लिंक (एसवाईएल मुद्दे को सुलझाने के लिए केंद्र सरकार ने दोनों राज्यों की बैठक 9 जुलाई को बुलाई है। यह बैठक पंजाब और हरियाणा के बीच पानी के वितरण को लेकर होने वाले विवाद को हल करने के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।

पंजाब की ओर से मुख्यमंत्री भगवंत मान पहले ही यह स्पष्ट कर चुके हैं कि उनका राज्य हरियाणा को अतिरिक्त पानी देने के पक्ष में नहीं है। इसके बाद अब पंजाब सरकार ने यमुना-सतलुज-लिंक नहर के निर्माण की मांग की है।

मुख्यमंत्री भगवंत मान का बयान
पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने हाल ही में नीति आयोग के साथ एक बैठक में इस मुद्दे को उठाया। उन्होंने कहा कि पंजाब में पानी की गंभीर स्थिति को देखते हुए सतलुज-यमुना-लिंक नहर के बजाय यमुना-सतलुज-लिंक नहर के निर्माण पर विचार किया जाना चाहिए।

उनका कहना था कि 12 मार्च 1954 को पुरानी पंजाब और उत्तर प्रदेश के बीच हुए समझौते में यमुना के पानी से सिंचाई के लिए किसी विशेष क्षेत्र को निर्धारित नहीं किया गया था। इसलिए यह नहर पंजाब के हित में ज्यादा उपयुक्त रहेगी।

एसवाईएल नहर और विवाद का इतिहास
एसवाईएल नहर का विवाद 214 किलोमीटर लंबी नहर के निर्माण को लेकर है, जिसमें से 122 किलोमीटर पंजाब में और 92 किलोमीटर हरियाणा में बननी थी।

यह नहर दोनों राज्यों के बीच पानी के वितरण के लिए बनी थी लेकिन यह परियोजना अब तक पूरी नहीं हो सकी है। इस मुद्दे को लेकर कई सालों से दोनों राज्यों के बीच राजनीतिक और कानूनी विवाद चलता रहा है।

सुप्रीम कोर्ट का आदेश
मई 2023 में सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब और हरियाणा को निर्देश दिया था कि वे इस मुद्दे को सुलझाने के लिए केंद्र सरकार के साथ सहयोग करें।

अदालत ने कहा था कि दोनों राज्य मिलकर इस विवाद को सुलझाने की कोशिश करें ताकि पानी की समान वितरण प्रणाली बनाई जा सके।

अगली बैठक और राज्य सरकारों की तैयारी
केंद्र सरकार की 9 जुलाई को होने वाली बैठक के लिए दोनों राज्य तैयार हो रहे हैं। पंजाब की सरकार इस बैठक में मजबूती से अपना पक्ष रखेगी। हरियाणा भी अपने हिस्से का पानी पाने के लिए अपनी दलीलें पेश करेगा।

यह बैठक दोनों राज्यों के लिए एक अहम मौके का प्रतिनिधित्व करती है क्योंकि अगर यह मुद्दा सुलझ जाता है तो लंबे समय से चली आ रही पानी की किल्लत को लेकर कुछ राहत मिल सकती है।