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Haryana news: मिड-डे मील वर्करों के लिए हरियाणा सरकार का नया फैसला, पढ़ें पूरी खबर

Haryana news: हरियाणा सरकार ने मिड-डे मील वर्करों को लेकर एक बड़ा निर्णय लिया है, आइए जानें...
 
मिड-डे मील
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Top Haryana news: हरियाणा में अब यदि किसी सरकारी स्कूल में बच्चों की संख्या कम हो जाती है तो वहां काम कर रहे मिड-डे मील वर्कर को हटाया नहीं जाएगा बल्कि पास के किसी अन्य स्कूल में समायोजित किया जाएगा।

प्राथमिक शिक्षा महानिदेशक डॉ. विवेक अग्रवाल ने स्पष्ट किया है कि वर्करों के पदों का रेशनलाइजेशन करने की फिलहाल कोई योजना नहीं है।

पहले जैसा ही रहेगा फार्मूला

नियुक्ति को लेकर जो पुराना फार्मूला है वही आगे भी लागू रहेगा। इसका मतलब है कि मिड-डे मील वर्करों की भर्ती और तैनाती बच्चों की संख्या के हिसाब से ही होगी।

प्राथमिक शिक्षा महानिदेशक डॉ. अग्रवाल और मिड-डे मील योजना के मैनेजर संजीव कुमार ने मिड-डे मील वर्कर्स यूनियन हरियाणा (सीटू) के नेताओं से बात करते हुए कहा कि किसी तरह की अफवाहों पर ध्यान न दें।

यूनियन नेताओं ने रखी अपनी बात

मिड-डे मील वर्कर्स यूनियन हरियाणा के महासचिव जयभगवान और राज्य सचिव शरबती देवी ने अधिकारियों से मुलाकात में कहा कि केंद्र सरकार के नियमों के मुताबिक वर्करों की भर्ती की गई है।

इन नियमों के अनुसार 25 बच्चों तक एक कुक रखा जाएगा। 26 से 100 बच्चों तक दो कुक होंगे और इसके बाद हर 100 बच्चों पर एक अतिरिक्त कुक नियुक्त किया जाएगा। इन्हीं नियमों के आधार पर राज्य में मिड-डे मील वर्करों की नियुक्तियां हुई हैं।

आंदोलन की दी चेतावनी

यूनियन नेताओं ने साफ कहा कि अगर पदों के साथ किसी भी तरह की छेड़छाड़ की गई तो इसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। 

उन्होंने चेतावनी दी कि यदि सरकार ने नियमों के खिलाफ कोई कदम उठाया तो मिड-डे मील वर्कर बड़ा आंदोलन करने के लिए मजबूर होंगे। इसकी पूरी जिम्मेदारी सरकार की होगी।

वर्करों को मिला भरोसा

अधिकारियों ने यूनियन को आश्वासन दिया है कि सरकार का इरादा वर्करों के पद घटाने या हटाने का नहीं है। बल्कि जहां बच्चों की संख्या कम होगी वहां वर्करों को पास के स्कूलों में एडजस्ट किया जाएगा। इससे न तो वर्करों की नौकरी पर कोई खतरा आएगा और न ही बच्चों को मिड-डे मील योजना से वंचित होना पड़ेगा।

क्या है मिड-डे मील योजना?

मिड-डे मील योजना केंद्र सरकार की ओर से चलाई जा रही एक महत्वपूर्ण योजना है जिसके तहत सरकारी स्कूलों के बच्चों को पढ़ाई के साथ-साथ पौष्टिक भोजन उपलब्ध कराया जाता है।

इस योजना का मकसद बच्चों को स्कूल की ओर आकर्षित करना, पढ़ाई जारी रखने के लिए प्रोत्साहित करना और कुपोषण को कम करना है।