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Haryana News: शिक्षा मंत्री के गांव के सरकारी स्कूलों की हालत खस्ता, छतें टपक रहीं, भवन जर्जर

Haryana News: पानीपत जिले के कवी गांव में स्थित दो सरकारी स्कूलों की हालत बेहद खराब है, जानें पूरी खबर...
 
Haryana News: शिक्षा मंत्री के गांव के सरकारी स्कूलों की हालत खस्ता, छतें टपक रहीं, भवन जर्जर
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Top Haryana: कवी गांव हरियाणा के शिक्षा मंत्री महिपाल ढांडा का पैतृक गांव है लेकिन फिर भी यहां के सरकारी स्कूल बुनियादी सुविधाओं की कमी से जूझ रहे हैं। इनमें से एक राजकीय सीनियर सेकेंडरी स्कूल और दूसरा राजकीय कन्या उच्च विद्यालय है। दोनों स्कूलों की इमारतें जर्जर हो चुकी हैं और बरसात में छतें टपक रही हैं।

राजकीय सीनियर सेकेंडरी स्कूल का हॉल पूरी तरह कंडम हो चुका है। उसके बाहर "असुरक्षित भवन" लिखकर चारों ओर तारबंदी कर दी गई है ताकि कोई छात्र या स्टाफ वहां न जाए। इस स्कूल में पहले कभी हजारों बच्चे पढ़ते थे लेकिन अब छात्र संख्या घटकर लगभग 400 के आसपास रह गई है। स्कूल में प्रिंसिपल और इतिहास के शिक्षक के पद खाली हैं।

अतिरिक्त प्रिंसिपल सुरेश दलाल का कहना है कि स्कूल को 1969 में बनाया गया था और 2007 में इसकी छत बदली गई थी। अब हालात ये हैं कि सामूहिक कार्यक्रमों के लिए कोई सुरक्षित हॉल नहीं है। उन्होंने स्कूल में 5 नए कमरों की मांग की है ताकि बच्चों के बैठने की व्यवस्था सुधारी जा सके।

गांव के दूसरे स्कूल राजकीय कन्या उच्च विद्यालय की स्थिति भी कुछ खास बेहतर नहीं है। इस स्कूल की छतें टपक रही हैं और रसोई की छत पूरी तरह से कंडम हो चुकी है। यहां की कार्यकारी मुख्याध्यापक जयभगवान ने बताया कि स्कूल की इमारत 1995 में बनी थी जिसे बाद में 2005 में अपग्रेड किया गया।

इस स्कूल में पहली से पांचवीं तक 51 छात्राएं और छठी से 10वीं तक 123 छात्राएं पढ़ रही हैं। कंप्यूटर रूम भी जर्जर स्थिति में है। ड्राइंग टीचर पीटीआई और मुख्याध्यापक के पद भी खाली हैं। स्कूल में रसोई लाइब्रेरी और आंगनबाड़ी के लिए अलग कमरे हैं लेकिन बरामदों की छतें टपकती रहती हैं जिससे बच्चों को काफी परेशानी होती है।

बारिश के दिनों में स्कूलों तक पहुंचना भी बच्चों के लिए एक बड़ी समस्या है। रास्तों पर पानी भर जाता है जिससे छात्रों और शिक्षकों को स्कूल आना-जाना मुश्किल हो जाता है। गांव के दोनों स्कूलों में स्थायी प्रधानाचार्य नहीं हैं। सीनियर सेकेंडरी स्कूल में दूसरे स्कूल के प्रिंसिपल को अतिरिक्त प्रभार दिया गया है जबकि कन्या स्कूल में प्राइमरी शिक्षक को चार्ज दिया गया है। ऐसे में स्कूलों की प्रशासनिक व्यवस्था भी प्रभावित हो रही है।