Haryana news: हरियाणा के इस गांव में बायोगैस प्लांट की शुरुआत, गांववासियों को होगा फायदा

Top Haryana: हरियाणा के चौटाला गांव के निवासियों के लिए एक खुशखबरी आई है। अब इस गांव की गोशाला में बायोगैस से चूल्हा जलने लगा है और अगर सबकुछ सही रहा तो आने वाले समय में चौटाला के घरों में भी बायोगैस से चूल्हे जलेंगे। गोशाला में स्थापित बायोगैस प्लांट में हर रोज गोबर डालकर टेस्टिंग की जा रही है ताकि इस प्लांट से ज्यादा से ज्यादा गैस का उत्पादन किया जा सके।
स्वच्छ भारत मिशन के तहत बायोगैस प्लांट की स्थापना
इस बायोगैस प्लांट को स्वच्छ भारत मिशन के तहत ग्रामीण विकास निदेशालय द्वारा गोबरधन प्रोजेक्ट के रूप में तैयार किया गया है। इसके तहत हर रोज गोबर डालकर गैस का उत्पादन किया जा रहा है। तकनीकी खामियों को दूर करने के लिए इसका टेस्टिंग किया जा रहा है। इस परियोजना का उद्देश्य गांव में स्वच्छ ऊर्जा का उपयोग बढ़ाना और पर्यावरण की रक्षा करना है।
दुष्यंत चौटाला ने किया था शिलान्यास
पूर्व उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने 5 सितंबर 2022 को अपने पैतृक गांव में माडल गोबरधन परियोजना का शिलान्यास किया था। इस परियोजना के तहत चौटाला गांव की गोशाला में करीब 2 हजार गोवंश मौजूद हैं और इनसे प्राप्त गोबर का उपयोग बायोगैस बनाने के लिए किया जा रहा है। बताया जा रहा है कि इस बायोगैस प्लांट से हर दिन 400 क्यूबिक गैस का उत्पादन होगा जो गांववासियों के लिए एक बड़ी राहत का कारण बनेगा।
पहले पशुओं के लिए फिर घरों को गैस की आपूर्ति
इस बायोगैस प्लांट से पहले गोशाला के पशुओं के लिए दलिया तैयार करने के लिए गैस की आपूर्ति की जाएगी। इसके बाद यह गैस 70 घरों को पाइपलाइन के जरिए सप्लाई की जाएगी। इस योजना का शुभारंभ 18 जनवरी 2025 को होना था लेकिन निर्माण कार्य में देरी के कारण यह योजना अभी तक शुरू नहीं हो सकी है।
प्रोजेक्ट पर खर्च हुई राशि और देरी
चौटाला गांव की गोशाला में नैन बिल्डर्स ने गोबरधन प्रोजेक्ट तैयार किया है जिसमें करीब 1.64 लाख रुपये की राशि खर्च हुई है। इस प्रोजेक्ट को 21 अप्रैल 2023 को शुरू किया गया था और इसका पूरा होने का अनुमान 15 फरवरी 2024 था। हालांकि कुछ कारणों से इस प्रोजेक्ट में देरी हुई है।
भविष्य में बड़े लाभ की उम्मीद
इस बायोगैस प्लांट के सफल होने के बाद चौटाला गांव के लोग स्वच्छ ऊर्जा का लाभ उठाएंगे। यह परियोजना न केवल पर्यावरण को साफ रखेगी बल्कि गांववासियों को सस्ती और स्वच्छ ऊर्जा भी प्रदान करेगी। साथ ही यह ग्रामीण विकास के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकता है।