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Haryana news: हरियाणा CET में एग्जाम दो शिफ्टों में हुआ तो लगेगा नॉर्मलाइजेशन फॉर्मूला, जानें क्या है इसका मतलब

Haryana news: हरियाणा CET को लेकर बड़ी अपडेट सामने आई है, आइए जानें पूरी खबर में...
 
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Top Haryana: हरियाणा में कॉमन एलिजिबिलिटी टेस्ट (CET) 2025 के लिए रजिस्ट्रेशन का समय अब सिर्फ 3 दिन ही बचा है। इसके बाद हरियाणा स्टाफ सिलेक्शन कमीशन (HSSC) परीक्षा की तारीख जारी कर सकता है। अगर रजिस्ट्रेशन ज्यादा हुए तो परीक्षा दो शिफ्टों में ली जाएगी।

अगर एग्जाम दो शिफ्टों में होता है तो HSSC नॉर्मलाइजेशन फॉर्मूला लगाएगा। इसका मतलब है कि पेपर की कठिनाई के अनुसार सभी कैंडिडेट्स के नंबर बराबर किए जाएंगे ताकि सभी को बराबरी का मौका मिले।

नीचे जानिए नॉर्मलाइजेशन फॉर्मूले से जुड़े 6 आसान सवालों के जवाब

1. नॉर्मलाइजेशन फॉर्मूला क्या होता है?
नॉर्मलाइजेशन एक तरीका है जिससे अलग-अलग शिफ्टों में दिए गए पेपरों के नंबरों को एक जैसे स्तर पर लाया जाता है। इससे सभी छात्रों को समान मौका मिलता है, चाहे उनका पेपर आसान हो या कठिन।

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2. इसकी जरूरत क्यों पड़ती है?
अगर एग्जाम एक से ज्यादा शिफ्टों में होता है तो हर शिफ्ट का पेपर अलग होता है। हो सकता है किसी शिफ्ट का पेपर आसान हो और किसी का कठिन। इसलिए नॉर्मलाइजेशन किया जाता है ताकि सभी छात्रों का आंकलन बराबरी से हो।

3. पेपर की कठिनाई कैसे मापी जाती है?
पेपर की कठिनाई मापने के लिए दो तरीके होते हैं। सभी शिफ्ट के पेपरों का आपस में तुलना की जाती है। देखा जाता है कि कितने छात्रों ने कितने नंबर पाए। अगर किसी शिफ्ट में औसतन कम नंबर आए, तो माना जाता है कि वो पेपर कठिन था।

4. क्या नॉर्मलाइजेशन से नंबर घट सकते हैं?
नॉर्मलाइजेशन से किसी छात्र के नंबर बढ़ भी सकते हैं और घट भी सकते हैं। यह इस बात पर निर्भर करता है कि उस शिफ्ट में बाकी छात्रों ने कैसा प्रदर्शन किया है।

5. क्या पहले भी हरियाणा में इसका इस्तेमाल हुआ है?
हरियाणा में 2022 के CET एग्जाम में भी नॉर्मलाइजेशन का इस्तेमाल किया गया था। उस वक्त भी लाखों छात्रों ने एग्जाम दिया था और पेपर अलग-अलग शिफ्ट में हुए थे।

6. क्या इसका विरोध भी हुआ है?
2022 में कई छात्रों ने नॉर्मलाइजेशन के खिलाफ विरोध किया था। उन्होंने पंचकूला में HSSC ऑफिस के बाहर धरना भी दिया था। उनकी मांग थी कि सभी के लिए एक ही पेपर हो और सीधा नंबरों के आधार पर चयन हो।

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