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संपत्ति रजिस्ट्री कराने के बाद भी नहीं बनते मालिक? सुप्रीम कोर्ट का चौंकाने वाला फैसला

सुप्रीम कोर्ट ने प्रॉपर्टी से जुड़ी आम समझ को पलटा, अब प्रॉपर्टी मालिक बनने के लिए रजिस्ट्री के साथ जरूरी होंगे यह अन्य दस्तावेज भी...

 
संपत्ति रजिस्ट्री कराने के बाद भी नहीं बनते मालिक? सुप्रीम कोर्ट का चौंकाने वाला फैसला
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Top Haryana News: अगर आप यह सोचते हैं कि किसी भी संपत्ति (Property) की रजिस्ट्री (Registry) आपके नाम हो जाने के बाद आप उसके मालिक बन जाते हैं, तो यह खबर आपके लिए जरूरी है| सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने हाल ही में एक ऐसा फैसला सुनाया है जो इस धारणा को पूरी तरह बदल सकता है|

अदालत ने साफ कर दिया है कि सिर्फ रजिस्ट्री करा लेने से किसी संपत्ति का पूरा प्रॉपर्टी या जमीन का मालिकाना हक (Property Ownership) नहीं मिल जाता| रजिस्ट्री सिर्फ एक दस्तावेज है, जो दावा तो साबित कर सकता है, लेकिन यह वैध कब्जे या पूर्ण स्वामित्व की गारंटी नहीं है|

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क्या कहा सुप्रीम कोर्ट ने?
सुप्रीम कोर्ट ने अपने हालिया निर्णय में कहा है कि –

  • संपत्ति की रजिस्ट्री सिर्फ एक सहायक दस्तावेज है|
  • किसी जमीन या मकान पर असली मालिकाना हक तब ही माना जाएगा जब उसके समर्थन में अन्य कानूनी दस्तावेज मौजूद हों|
  • सिर्फ रजिस्ट्री के दम पर न तो मालिकाना दावा ठोका जा सकता है और न ही कानूनी रूप से कब्जा सिद्ध किया जा सकता है|

रजिस्ट्री और मालिकाना हक में क्या है फर्क?
भारत में अक्सर लोग यह मानते आए हैं कि अगर उनके नाम पर किसी प्रॉपर्टी की रजिस्ट्री (Property Registry) हो गई तो वे उसके मालिक बन गए| लेकिन सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले ने यह भ्रम दूर कर दिया है| कोर्ट के मुताबिक रजिस्ट्री और ओनरशिप (Ownership) दोनों अलग चीजें हैं|

रजिस्ट्री सिर्फ इस बात का प्रमाण है कि आपने सौदा किया है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि आप कानूनी रूप से उस संपत्ति के मालिक हैं| इसके लिए आपको प्रॉपर्टी की ओनरशिप साबित करने वाले अन्य दस्तावेज जैसे म्युटेशन रिकॉर्ड (Mutation Record), कब्जे का सबूत, विरासत के कागजात या न्यायिक आदेशों की भी जरूरत पड़ेगी|

क्यों लिया गया यह फैसला?
सुप्रीम कोर्ट का मानना है कि यह निर्णय भविष्य में संपत्ति विवादों को कम करने और रियल एस्टेट क्षेत्र में धोखाधड़ी पर लगाम लगाने में मदद करेगा|

अब संपत्ति खरीदने वाले लोगों को यह सुनिश्चित करना होगा कि रजिस्ट्री के साथ-साथ वैध ओनरशिप वाले दस्तावेज भी मौजूद हों| इससे लेन-देन में पारदर्शिता आएगी और कोर्ट में केस कम होंगे|

किस पर पड़ेगा सबसे ज्यादा असर?
यह फैसला खास तौर पर इन लोगों को प्रभावित करेगा-

  • जो लोग पैतृक संपत्ति (Inherited Property) खरीदते या बेचते हैं|
  • वे रियल एस्टेट डेवलपर्स (Real Estate Developers), जो रजिस्ट्री को ही अंतिम दस्तावेज मानते हैं|
  • वे खरीदार, जो बिना पूरी जांच के संपत्ति की रजिस्ट्री करवा लेते हैं|

अब क्या सावधानी बरतें?
कानूनी विशेषज्ञों ने सलाह दी है कि अब प्रॉपर्टी खरीदने या बेचने से पहले निम्न बातों का खास ख्याल रखें-

  1. रजिस्ट्री के अलावा ओनरशिप साबित करने वाले अन्य दस्तावेजों की जांच करें|
  2. ज़रूरत हो तो किसी वकील या कानूनी सलाहकार से दस्तावेजों का सत्यापन कराएं|
  3. यह देखें कि विक्रेता का नाम राजस्व रिकॉर्ड (Revenue Record) में भी दर्ज है या नहीं|

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सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला न केवल खरीदारों को ज्यादा जागरूक बनाएगा, बल्कि संपत्ति से जुड़ी धोखाधड़ी और बेवजह के मुकदमों में भी कमी लाएगा| अब केवल रजिस्ट्री कराना काफी नहीं होगा, बल्कि पूरे मालिकाना हक को साबित करने के लिए मजबूत कानूनी दस्तावेज भी जरूरी होंगे|
अगर आप भी किसी प्रॉपर्टी को खरीदने या बेचने की सोच रहे हैं, तो सिर्फ रजिस्ट्री पर भरोसा न करें — पूरे प्रॉपर्टी डॉक्यूमेंटेशन की जांच करें, तभी लें कोई बड़ा फैसला|