Delhi Metro: दिल्ली मेट्रो का सबसे ऊंचा कॉरिडोर, बनकर हुआ तैयार, जानें इसकी विशेषता
Delhi Metro: दिल्ली मेट्रो रेल निगम ने हैदरपुर बादली मोड़ के पास दिल्ली मेट्रो का सबसे ऊंचा कॉरिडोर बना डाला है, कॉरिडोर बाहरी रिंग रोड के पास वर्तमान येलो लाइन के ऊपर से जा रहा है।

Top Haryana: दिल्ली मेट्रो रेल निगम ने फेज 4 की मेट्रो लाइन पर हैदरपुर बादली मोड़ के पास दिल्ली मेट्रो के सबसे ऊंचे कॉरिडोर का निर्माण पूरा किया है, कॉरिडोर बाहरी रिंग रोड के पास वर्तमान येलो लाइन के ऊपर से 28.362 मीटर की ऊंचाई पर बनाया गया है, यह कॉरिडोर येलो लाइन के कॉरिडोर के बीच बने सिंगल पिलर के ऊपर बनाया गया है।
इससे पहले धौला कुआं में पिंक लाइन के कॉरिडोर की ऊंचाई सबसे अधिक थी, धौला कुआं में पिंक लाइन के कॉरिडोर की ऊंचाई 23.6 मीटर है, जो एयरपोर्ट एक्सप्रेस लाइन के ऊपर से गुजर रहा है। DMRC ने हैदरपुर बादली मोड़ के पास सबसे ऊंचा मेट्रो कॉरिडोर बनाकर एक नया रिकॉर्ड बना दिया है।
मेट्रो का सबसे ऊंचा कॉरिडोर
DMRC का कहना है कि इस कॉरिडोर का निर्माण बेहद चुनौतीपूर्ण था, कॉरिडोर फेज 4 में निर्माणाधीन 29.262 किलोमीटर लंबी जनकपुरी पश्चिम-आरके आश्रम मेट्रो लाइन का है यह हिस्सा है जो वर्तमान मजेंटा लाइन की विस्तार परियोजना है।
मेट्रो का सबसे ऊंचा कॉरिडोर अब मजेंटा लाइन का हिस्सा होगा, हैदरपुर बादली मोड़ में पहले से यलो लाइन का स्टेशन है, हैदरपुर बादली मोड में फेज 4 के मेट्रो कॉरिडोर का प्लेटफार्म वर्तमान स्टेशन के ऊपर बनाया गया है। जिससे बाहरी रिंग रोड के पास 490 मीटर लंबा सेक्शन येलो लाइन के ऊपर से गुजर रहा है और हैदरपुर बादली मोड़ मेट्रो स्टेशन के पास पिलर नंबर 340 पर मेट्रो कॉरिडोर की ऊंचाई सबसे अधिक 28.362 मीटर है।
मेट्रो कॉरिडोर की ऊंचाई
DMRC का कहना है कि फेज 4 के कॉरिडोर के लिए वर्तमान येलो लाइन के ऊपर स्टील स्पैन डालकर एलिवेटेड कॉरिडोर तैयार किया गया है, येलो लाइन पर मेट्रो का परिचालन व सुरक्षा में व्यवधान न पड़े इसके लिए इंजीनियरों ने 3 चरणों में सुरक्षित तरीके से निर्माण पूरा किया। निर्माणाधीन स्थल पर जगह जगह सीमित थी, इसलिए पारंपरिक जमीनी सपोर्ट के बजाय मैक्लॉय बार्स का उपयोग कर वैकल्पिक सपोर्ट सिस्टम तैयार किया गया।
मेट्रो का दूसरा सबसे ऊंचा वायाडक्ट इसी कॉरिडोर पर हैदरपुर बादली मोड़ के पास रेलवे क्रॉसिंग के पास तैयार किया गया है, रेलवे क्रॉसिंग के ऊपर 52.288 मीटर का लंबा स्टील स्पैन लगाकर मेट्रो कॉरिडोर तैयार किया।
इस जगह मेट्रो के वायाडक्ट और चालू रेलवे ट्रैक के बीच जगह की कमी के कारण रेलवे के ओवरहेड इलेक्ट्रिक वायर से काफी कम दूरी के अंतर पर 2 भारी-भरकम क्रेनों का उपयोग कर यह कॉरिडोर तैयार किया गया, प्रत्येक क्रेन ने 142-मीट्रिक टन के स्टील गर्डर उठाकर यह कार्य पूरा किया।
DMRC ने कही यह बात
रेलवे व येलो लाइन पर मेट्रो का परिचालन ज्यादा प्रभावित न हो इसके लिए काम रात के समय मेट्रो का परिचालन बंद होने के बाद किया गया, जनकपुरी पश्चिम-आरके आश्रम कॉरिडोर का पूरा हिस्सा अगले साल मार्च तक बनकर तैयार होगा। इस कॉरिडोर पर मेट्रो का परिचालन शुरू होने के बाद यात्रियों को आवागमन में सुविधा बढ़ेगी और यात्रा में कम समय लगेगा।