Cheque Bounce: चेक बाउंस को लेकर हाईकोर्ट का तगड़ा फैसला, अब से नया नियम होगा लागू, जानें

Top Haryana: हाल ही में इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने चेक बाउंस (Cheque Bounce) के मामलों में एक अहम फैसला सुनाया है, जिसमें यह कहा गया कि डिजिटल माध्यम से भेजा गया नोटिस - जैसे कि ई-मेल या व्हाट्सएप - वैध माना जाएगा, बशर्ते कि वह IT एक्ट की धारा 13 के नियमों के अनुरूप हो।
डिजिटल नोटिस की वैधता
इलाहाबाद HC ने यह स्पष्ट किया कि अगर चेक बाउंस के मामले में नोटिस इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से भेजा जाता है, तो उसे कानूनी रूप से मान्यता मिलेगी। इसे IT एक्ट की धारा 4 और 13 तथा भारतीय एविडेंस एक्ट की धारा 65B के प्रावधानों के आधार पर वैध ठहराया गया है।
उपयोग में लचीलापन
इस फैसले के बाद, अब चेक बाउंस के मामलों में नोटिस भेजने का तरीका केवल हाथ से लिखे नोटिस तक सीमित नहीं रहेगा। डिजिटल नोटिस भेजने से प्रक्रिया में लचीलापन और तेजी आएगी।
उत्तर प्रदेश उच्च न्यायालय का दृष्टिकोण
उत्तर प्रदेश HC के मामले - राजेंद्र यादव बनाम उत्तर प्रदेश सरकार - में भी जज अरुण कुमार सिंह देशवाल ने कहा कि नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट की धारा 138 में नोटिस भेजने का तरीका तो बताया गया है, पर भेजने के साधन पर कोई नियम नहीं है। इसलिए, डिजिटल माध्यम से भेजे गए नोटिस को वैध माना जाएगा।
पुरी रिकॉर्ड का संपूर्ण ट्रैक
उत्तर प्रदेश के न्यायालयों ने मजिस्ट्रेट के लिए नए दिशा-निर्देश जारी किए हैं, जिसके तहत यदि किसी प्रकार की शिकायत दर्ज की जाती है, तो संबंधित अधिकारी को पूरी जानकारी और रिकॉर्ड संजोकर रखना होगा। इससे पारदर्शिता बढ़ेगी और धोखाधड़ी या गलतफहमी से बचा जा सकेगा।
इस फैसले से न्याय की प्रक्रिया में नई दिशा मिलेगी और चेक बाउंस (Cheque Bounce) के मामलों का समाधान तेजी से हो सकेगा। डिजिटल नोटिस की मान्यता से न केवल नोटिस भेजने का तरीका आसान होगा, बल्कि इससे कोर्ट में प्रस्तुत होने वाले सबूत भी मजबूत और विश्वसनीय माने जाएंगे।