Bihar Ministry Distribution: बिहार मंत्रिमंडल में हुआ बदलाव, जानें किसे क्या मिला, यहां देखें लिस्ट 
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Bihar Ministry Distribution: बिहार मंत्रिमंडल में हुआ बदलाव, जानें किसे क्या मिला, यहां देखें लिस्ट 

Bihar Ministry Distribution: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने गुरुवार को अपने कैबिनेट मंत्रियों को विभाग बांट दिए हैं। भाजपा कोटे के सात नए मंत्रियों को विभाग आवंटित कर दिए गए हैं। पूर्व मंत्रियों के विभाग बदल दिए गए है, आइए जानें विस्तार से...
 
बिहार मंत्रिमंडल में हुआ बदलाव
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Top haryana: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने गुरुवार को अपने कैबिनेट मंत्रियों के विभाग का बंटवारा कर दिया। भाजपा कोटे के सात नए मंत्रियों को विभाग आवंटित कर दिए गए हैं। पूर्व मंत्रियों के विभाग बदल दिए गए हैं। नीतीश सरकार ने इसके लिए अधिसूचना जारी कर दी है।

कई दिग्गजों से छीने गए विभाग

इस बार कई पुराने दिग्गजों से विभाग छीने भी गए हैं। बिहार के डिप्टी सीएम विजय सिन्हा से पथ निर्माण विभाग छीनकर नीतीन नवीन को दे दिया गया है और नीतीन नवीन का विभाग (नगर,विकास-आवास) जिवेश कुमार को दे दिया गया। वहीं, मंगल पांडेय का कृषि विभाग डिप्टी सीएम विजय सिन्हा को दिया गया। संतोष सुमन से भी दो विभाग छीन लिया गया है, उनके पास केवल एक विभाग बचा है। वहीं दिलीप जायसवाल का राजस्व विभाग लेकर संजय सरावगी को दे दिया गया। प्रेम कुमार का विभाग छीनकर राजू सिंह और सुनील सिंह को दे दिया गया है।

बिहार में मंत्रालय का बंटवारा

संजय सरावगी- राजस्व एवं भूमि सुधार
जीवेश कुमार मिश्रा - नगर, विकास एवं आवास
सुनील कुमार सिंह-पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन
राजू सिंह- पर्यटन मंत्रालय
मोतीलाल प्रसाद- कला, संस्कृति एवं युवा
कृष्ण कुमार मंटू- सूचना प्रावैधिकी
विजय मंडल-आपदा प्रबंधन
विजय सिन्हा (डिप्टी सीएम)- कृषि, खान-भूतत्व
डॉ. प्रेम कुमार- सहकारिता
मंगल पांडेय- स्वास्थ्य-विधि
नीतीश मिश्रा- उद्योग
नीतीन नवीन- पथ निर्माण
संतोष कुमार सुमन- लघु जल संसाधन

मांझी के बेटे संतोष सुमन से छीना गया विभाग

हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं नीतीश सरकार में मंत्री संतोष सुमन से कैबिनेट विस्तार के बाद उनके दो विभाग छीन लिए गए हैं। अब संतोष सुमन के पास सिर्फ एक विभाग रह गया है। दो विभाग छीने जाने के बाद सियासी गलियारे में इस बात की चर्चा तेज हो गई है कि भाजपा ने कैबिनेट विस्तार के बहाने जीतन राम मांझी को उनकी औकात बताई है। मांझी सीट शेयरिंग को लेकर भाजपा पर दबाव बनाने की कोशिश कर रहे थे, कहीं उसी का खामियाजा तो उन्हें नहीं भुगतना पड़ा है।