Electric vehicles: क्या वाकई EVs पर्यावरण के लिए अच्छे हैं, जानिए इसके पीछे की खतरनाक सच्चाई

TOP HARYANA: इलेक्ट्रिक वाहनों (EVs) की खूब चर्चा हो रही है। सरकारें इनको बढ़ावा देने के लिए सब्सिडी और टैक्स में छूट दे रही हैं। भारत में भी PM E-Drive योजना के तहत EVs को बढ़ावा दिया जा रहा है।
EVs के निर्माण में ज्यादा प्रदूषण
EVs को बनाने में सामान्य पेट्रोल-डीजल गाड़ियों से दोगुना ज्यादा कार्बन उत्सर्जन होता है। एक EV बनाने में 5-10 टन कार्बन डाइऑक्साइड निकलती है। इसकी बैटरी बनाने के लिए लीथियम, कोबाल्ट और निकल जैसी दुर्लभ धातुओं की माइनिंग करनी पड़ती है, जिससे भारी प्रदूषण होता है।
लीथियम माइनिंग का नुकसान
EVs की बैटरी के लिए लीथियम जरूरी होता है, लेकिन इसे निकालने में बहुत पानी खर्च होता है। 1 टन लीथियम निकालने में 2 मिलियन टन पानी लगता है। एक EV बनाने में 13 हजार 500 लीटर पानी लगता है, जबकि पेट्रोल कार में सिर्फ 4 हजार लीटर। चिली, अर्जेंटीना और बोलीविया जैसे देशों में इससे पानी की भारी किल्लत हो रही है।
चार्जिंग भी बढ़ा सकती है प्रदूषण
EVs को चार्ज करने के लिए बिजली चाहिए लेकिन भारत में 70% बिजली कोयले से बनती है। अगर EVs को कोयले से बनी बिजली से चार्ज किया जाए, तो ये पेट्रोल कारों के मुकाबले सिर्फ 20% ही कम कार्बन उत्सर्जन करेंगी। मतलब अगर चार्जिंग के लिए कोयला आधारित बिजली का इस्तेमाल बढ़ा, तो प्रदूषण भी बढ़ेगा।
खराब बैटरियों का निपटारा मुश्किल
EVs की बैटरियां जब खराब हो जाती हैं तो इनका रीसाइक्लिंग महंगा और कठिन होता है। ज्यादातर बैटरियों को लैंडफिल में फेंक दिया जाता है। जहां से निकलने वाले रसायन मिट्टी और पानी को जहरीला बना सकते हैं। अभी केवल 5% बैटरियां ही रीसाइकिल हो पाती हैं।
टायर और ब्रेक से भी प्रदूषण
EVs का वजन सामान्य गाड़ियों से ज्यादा होता है, जिससे इनके टायर और ब्रेक जल्दी घिसते हैं और हवा में हानिकारक केमिकल फैलाते हैं। शोध के मुताबिक EVs के ब्रेक और टायर से होने वाला प्रदूषण 1850 गुना ज्यादा होता है।
क्या हो सकता है समाधान
EVs पूरी तरह गलत नहीं हैं, लेकिन इन्हें और बेहतर बनाने की जरूरत है। कुछ उपाय इस प्रकार हैं, बैटरी निर्माण में प्रदूषण कम किया जाए। बैटरी को बेहतर तरीके से रीसाइकिल किया जाए। चार्जिंग के लिए सौर ऊर्जा और पवन ऊर्जा का उपयोग बढ़ाया जाए। जब तक इन समस्याओं का हल नहीं निकाला जाता तब तक EVs को पूरी तरह “ग्रीन” कहना सही नहीं होगा।